जानिए क्या है Haemodynamic stability और क्या हैं इस समस्या के संकेत
सेहतमंद रहने के लिए दिल की धड़कन और रक्त प्रवाह का सामान्य होना जरूरी होता है.हेमोडायनामिक स्थिरता से दिल और रक्त की समस्या का पताया लगाया जा सकता है.
सामान्य रक्त प्रवाह को बयान करने के लिए मेडिकल की भाषा में हेमोडायनामिक स्थिरता कहा जाता है. अगर कोई शख्स हेमोडायनामिक स्थिर है तो समझिए उसके दिल की धड़कन और रक्त प्रवाह सामान्य है. जबकि हेमोडायनामिक अस्थिरता में ब्लड प्रेशर असमान्य होता है जिसके चलते शरीर के अंगों तक पर्याप्त रक्त का प्रवाह नहीं हो पाता.
असामान्य हेमोडायनामिक के लक्षण
सामान्य रक्त प्रवाह शरीर के सभी ऊतकों और अंगों को ऑक्सीजन की स्थिर आपूर्ति प्रदान करता है. दिल में रक्त प्रवाह का सामान्य बरकरार रहना अंगों की क्रियाशीलता के लिए बहुत जरूरी होता है. असामान्य हेमोडायनामिक मापदंडों में सांस की कमी, असमान्य गति से दिल की धड़कन, पेशाब की मात्रा का घटना, हाइपोटेंशन, छाती में दर्द होना माना जाता है. हेमोडायनामिक अस्थिरता का पता लगाने के लिए नब्ज पहला संकेत होता है. नब्ज में तब्दीली से पता चलता है कि मरीज हेमोडायनामिक अस्थिरता की तरफ जा रहा है या नहीं.
नब्ज से मालूम की जा सकती है परेशानी
नब्ज से बीमारी या अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का पता लगाया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक दिल के धड़कने से नब्ज में प्रेशर बनता है जिससे नब्ज फड़कती है. इसे महसूस कर या गिन कर एक मिनट में दिल की धड़कन को गिना जा सकता है. हालांकि पल्स रेट को प्रभावित करने के अन्य कारक भी हो सकते हैं जिसमें बुखार, कसरत और दवाई भी शामिल हो सकती है. शरीर का तेज तापमान भी गंभीर अस्थिरता का संकेत हो सकता है. गंभीर रूप से बीमार लोगों को हेमोडायनामिक अस्थिरता के कारण होनेवाली पेचीदगियों से बचने के लिए लगातार निगरानी की जरूरत होती है. ब्लड प्रेशर और खराब धमनी दबाव अस्थिरता के लिए उपयुक्त संकेतक होता है. शरीर के लिए पर्याप्त ब्लड प्रेशर जरूरी होता है जिससे रक्त प्रवाह को दिमाग और किडनी जैसे अंगों तक सुचारू रूप से रेगुलेट किया जा सके.
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