लंदन: प्रोफेशनल फुटबॉलर द्वारा किये जाने वाले हेडर से खिलाड़ियों को डिमेंशिया का सामना करना पड़ सकता है. एक नये शोध में आज इसकी चेतावनी दी गयी.
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन यूसीएल और कार्डिफ यूनिवर्सिटी द्वारा किये गये शोध में पांच लोगों के दिमाग की गतिविधियों को देखा गया जो प्रोफेशनल फुटबॉलर थे जबकि एक ऐसा खिलाड़ी था जो पूरी जिंदगी एमेच्योर खेला.
इन सभी ने औसतन 26 साल की उम्र तक फुटबाल खेली और सभी को उनकी 60 साल की उम्र में डिमेंशिया हो गया.
पोस्टमार्टम करते हुए वैज्ञानिकों को चार मामलों में मस्तिष्क चोट के संकेत मिले जो एक तरह की मस्तिष्क विकृति सीटीई है. सीटीई याददाश्त कम होना, डिप्रेशन और डिमेंशिया से जुड़ी है जिसे शरीर से सीधे संपर्क वाले अन्य खेलों में भी देखा गया है.
शोध के प्रमुख शोधकर्ता यूसीएल के प्रोफेसर हयू मौरिस ने कहा कि जब हमने आटोप्सी में उनके मस्तिष्क की जांच की गयी तो हमने कुछ तरह के बदलाव देखे जो पूर्व मुक्केबाजों में देखे जाते हैं. इसमें उस तरह के बदलाव थे जो आमतौर पर बार-बार दिमाग में लगी चोट से जुड़े होते हैं जिसे सीटीई के नाम से जाना जाता है.
एक्टा न्यूरोपैथोलोजिका’ जर्नल में छपे इस शोध में रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है कि यह शोध निश्चित रूप से फुटबाल और डिमेंशिया के बीच संबंध साबित नहीं करता और इसमें फुटबॉलरों के लंबे समय में दिमाग के स्वास्थ्य को देखने के लिये और अधिक शोध की जरूरत है.
फुटबॉल में हेडर से हो सकता है दिमाग को खतरा!
ABP News Bureau
Updated at:
16 Feb 2017 09:20 AM (IST)
- - - - - - - - - Advertisement - - - - - - - - -