नई दिल्ली: भारत में ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं की मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है, लेकिन अब इसके कारण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के कैंसर रोग विशेषज्ञ, सर्जिकल ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. एम. डी. रे का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित महिलाओं में गर्भाशय कैंसर का भी खतरा बना रहता है, क्योंकि एक ही प्रकार के जीन के मौजूद रहने से दोनों तरह के कैंसर होते हैं.


रे ने कहा, "कैंसर के लिए जीन उत्तरदायी होते हैं. हमने देखा है कि ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ने से पिछले कुछ सालों में गर्भाशय कैंसर के मामलों में इजाफा हुआ है. एम्स में भी कई ऐसे मामले आए हैं, जहां महिलाओं में दोनों तरह के कैंसर पाए गए हैं." मानव में पाए जाने वाले बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन से जो ट्यमूर पैदा होता है, उससे प्रोटीन का दमन होता है. दोनों में से किसी एक जीन में जब बदलाव आता है, यानि वह ठीक से काम नहीं करता, तो उससे क्षतिग्रस्त डीएनए की मरम्मत नहीं हो पाती है. इसके फलस्वरूप कोशिकाओं में अतिरिक्त आनुवांशिक तब्दीली आती है, जिससे कैंसर हो सकता है.


रे ने कहा, "बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 जीन ब्रेस्ट और गर्भाशय दोनों प्रकार के कैंसर के लिए उत्तरदायी होते हैं. इनके काम नहीं करने से कैंसर के खतरे बढ़ जाते हैं. इसलिए ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित मरीज में गर्भाशय कैंसर का खतरा बना रहता है. इसी प्रकार गर्भाशय कैंसर के मरीज को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है." उन्होंने कहा कि पहले ऐसा माना जाता था कि ज्यादातर 50 साल साल से अधिक उम्र की महिलाएं ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर से पीड़ित होती हैं, मगर अब 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में भी ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं.


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डॉ. रे ने कहा, "भारत में 90 फीसदी मरीज डॉक्टर के पास तब आते हैं जब कैंसर एडवांस्ड स्टेज में होता है. दरअसल, शुरुआती चरण में इसका पता ही नहीं चल पाता है. इसका मुख्य कारण यह है कि गर्भाशय कैंसर के लक्षण का पता नहीं चल पाता है. उच्च तकनीक की सर्जरी के बावजूद मरीज के बचने की दर 30 फीसदी है. खराब जीवनशैली होने के कारण महिलाएं कैंसर से पीड़ित हो रही हैं."


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सर गंगाराम हॉस्पिटल की ऑन्कोलोजिस्ट डॉ. माला श्रीवास्तव ने कहा, "अगर किसी को ब्रेस्ट कैंसर है तो उसे गर्भाशय कैंसर होने की 30 से 35 फीसदी संभावना रहती है. वहीं, अगर किसी को गर्भाशय कैंसर है तो उसे ब्रेस्ट कैंसर की संभावना 10 से 15 फीसदी रहती है." बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 में खासतौर से वंशानुगत परिवर्तन से ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर का खतरा सबसे ज्यादा तोता है. इसके अलावा, गर्भाशय नाल, अग्न्याशय कैंसर सहित कई अन्य प्रकार के रोग होने का भी खतरा बना रहता है.


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डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि अगर किसी परिवार में एक-दो सदस्य ब्रेस्ट या गर्भाशय कैंसर से पीड़ित हैं तो परिवार की सभी महिलाओं को बीआरसीए-1 और बीआरसीए-2 की जांच करानी चाहिए. साथ ही, ब्रेस्ट और गर्भाशय कैंसर की जांच जल्द करानी चाहिए. अगर किसी महिला की मां को 45 साल की उम्र में ब्रेस्ट कैंसर हुआ था तो उसे 35 साल की उम्र में ही मैमोग्राफी शुरू कर देनी चाहिए. भारत में जीन परीक्षण महंगा होने के कारण अनेक महिलाओं में समय पर कैंसर की बीमारी का पता नहीं चल पाता है. डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि जीन परीक्षण में करीब 25,000-26,000 रुपये खर्च होते हैं.



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