2030 तक दुनियाभर में कम हो जाएंगे 1 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स! WEF की स्टडी में खुलासा
WEF में हेल्थ एंड हेल्थकेयर के प्रमुख श्याम बिशन ने कहा कि कोरोना की वजह से दवाओं के विकास और सप्लाई में तेजी से प्रगति हुई है. हालांकि लॉन्ग टर्म के लिए सिस्टम में बदलाव के अब अवसर तलाशने होंगे.
हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि इस दशक के आखिर तक पूरी दुनिया में हेल्थ वर्कर्स की कमी एक करोड़ का आंकड़ा पार कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो मानसिक स्वास्थ्य के इलाज तक लोगों की पहुंच प्रभावित हो सकती है. ये रिपोर्ट दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2023 की वार्षिक बैठक से पहले जारी हुई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च में हुई बढ़ोतरी के कारण टेलीहेल्थ, वैक्सीन्स और प्रिसाइजन मेडिसीन (व्यक्ति केंद्रित चिकित्सा) में तेजी से विकास किया है. हालांकि व्यवसायों और नीति निर्माताओं को काम से जुड़े तनाव और चिंता से निपटने का प्रयास करना चाहिए और हेल्थ फैसिलिटीज़ तक लोगों की पहुंच को सुनिश्चित करना चाहिए.
इस रिपोर्ट में भारत के आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) का भी जिक्र है. इस मिशन को भारत सरकार ने शुरू किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का कॉन्सेप्ट देश के पूरे हेल्थकेयर सेक्टर के डिजिटलाइजेशन से जुड़ा है. यही वजह है कि इसकी सफलता हितधारकों द्वारा इसे अपनाए जाने पर निर्भर करती है. इसके अनुसार, ABDM को अपनाना अब तक एक बड़ी चुनौती है और ये आंकड़ों के आदान-प्रदान, प्राइवेसी और इंटरनेट कनेक्टिविटी और डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी की दिक्कत की वजह से अब तक सीमित तरीके से ही अपनाया गया है.
तलाशने होंगे सिस्टम में बदलाव के अवसर
'ग्लोबल हेल्थ एंड हेल्थकेयर स्ट्रेटेजिक आउटलुक' टाइटल वाली इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इतिहास में सबसे तेजी से हुए वैक्सीन डेवलपमेंट ने यह बताया है कि पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप और निष्कर्ष पर आधारित नियमन में कई संभावनाएं हैं. WEF में हेल्थ एंड हेल्थकेयर के प्रमुख श्याम बिशन ने कहा कि कोरोना महामारी की वजह से दवाओं के विकास और सप्लाई में तेजी से प्रगति हुई है. हालांकि लॉन्ग टर्म के लिए सिस्टम में बदलाव के अब अवसर तलाशने होंगे, ताकि आर्थिक संकट के चलते हेल्थ सेक्टर के चरमराने की आशंका न हो.
कोरोना ने बढ़ाया बोझ
डब्ल्यूईएफ ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी ने हेल्थ केयर सिस्टम पर बड़ा बोझ डालने का काम किया है. इसके अलावा, जरूरी सामानों की दुनियाभर में सप्लाई में रुकावट भी पैदा की है. इतना ही नहीं, स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने वालों यानी हेल्थकेयर स्टाफ पर भी पहले से ज्यादा भार डाल दिया है. दयानंद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनल मेडिसिन में फिजिशियन कशिश मल्होत्रा ने कहा कि हिंसा और तनाव बड़े खतरे हैं. यह भी एक कारण है, जिससे डॉक्टर बाकी पेशों से जुड़ने पर विचार कर रहे हैं.
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