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वायु प्रदूषण से मौत के सबूत नहीं : सरकार
नयी दिल्ली: देश में वायु प्रदूषण से अबतक किसी की मौत होने के सबूत नहीं मिले हैं. ये कहना है देश के पर्यावरण मंत्री अऩिल दवे का. जी हां, दुनिया भर में तो दूषित हवा से होने वाली मौतों को लेकर चिंता जतायी जा रही है. कुछ दिनों पहले ही दुनिया की प्रसिद्ध मेडिकल मैगज़ीन लांसेट ने एक अध्ययन के हवाले से एक बड़ा दावा किया है.
मैग्ज़ीन के मुताबिक़, भारत में वायु प्रदूषण से अब तक 10 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इतना ही नहीं, दूषित हवा के चलते प्रति मिनट दो भारतीय मौत की गोद में चले जाते हैं.
पिछले साल नवंबर में जारी ग्रीनपीस इंडिया रिपोर्ट में तो और ज्यादा चिंताजनक आंकड़े पेश किए गए थे. रिपोर्ट के मुताबिक़ वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के मामले में भारत चीन से आगे निकल गया है. साल 2015 में जहां चीन में रोज़ाना 3,233 मौतें हुई थीं वहीं भारत में इनकी संख्या 3,283 रोज़ाना रही थीं.
लेकिन मोदी सरकार के पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे ने इन आंकड़ों को सिरे से ख़ारिज़ कर दिया है. दवे का कहना है कि विदेशी एजेंसियां और मैग्ज़ीन भले ही कुछ कहें लेकिन भारत में अबतक ऐसे सबूत नहीं मिले हैं कि वायु प्रदूषण सीधे-सीधे किसी की मौत के लिए ज़िम्मेदार हो. दवे कहते हैं कि कोलकाता के चित्तरंजन इंस्टिच्युट के मुताबिक़ प्रदूषण से बीमारी बढ़ती तो है लेकिन इसी कारण से मौत हो उसके सबूत नहीं मिले हैं.
हालांकि दवे ने इसी क्रम में ये भी स्वीकार किया है कि अब तक देश की किसी सरकारी या ग़ैर सरकारी एजेंसी ने ऐसा कोई अध्ययन नहीं किया है जिससे वायु प्रदूषण और मौत का सीधा रिश्ता साबित होता हो. उनके मुताबिक़ यही वजह है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने विशेषज्ञों की एक टीम बनाई है जो वायु प्रदूषण से लोगों पर पड़ने वाले संभावित बुरे प्रभाव की जांच कर रही है. ऐसे में दूषित हवा के चलते मौतों के किसी भी विदेशी एजेंसी के आंकड़ों को सीधे तौर पर मानना ठीक नहीं होगा.
दवे ने इस मुद्दे पर अब तक आए तमाम विदेशी एजेंसियों के आंकड़ों को भी तक़रीबन ख़ारिज़ कर दिया.
दवे ने कहा कि हमारे देश में परेशानी ये है कि हम अपने से ज़्यादा बाहरी एजेंसियों और आंकड़ों पर भरोसा करते हैं जो ठीक नहीं है. कोई भी स्वाभिमानी देश ऐसा नहीं करता है. मैं ये नहीं कहता कि विदेशी एजेंसियों के आंकड़ों का संज्ञान नहीं लिया जाए लेकिन उसी को सर्टिफिकेट मान लिया जाए ये भी ठीक नहीं है.
सरकार का कहना है कि वायु प्रदूषण से निपटने में संघीय ढ़ांचे के तहत राज्यों और स्थानीय निकायों की बड़ी भूमिका है. इसी के मद्देनज़र सरकार ने राज्य सरकारों और स्थानीय निकायों को एक 42 सूत्री दिशा निर्देश जारी किया है जिसमें वायु प्रदूषण पर क़ाबू पाने के लिए उठाए जाने वाले क़दमों का ज़िक्र किया गया है. वायु प्रदूषण के जो पांच सबसे बड़े कारण हैं उनमें वाहनों से निकला धुआं, सड़कों पर पड़ी धूल, इमारतों और घरों का निर्माण और कल कारखानों से निकला धुआं प्रमुख हैं. शहरों में इस्तेमाल होने वाला जेनरेटर भी इसका एक बड़ा कारण है.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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