Health News: जापान की मदद से एम्स बनाएगा सस्ते और सुलभ सर्जिकल उपकरण, हुआ करार
जापान की मदद से जल्द ही एम्स सस्ते और सुलभ मेडिकल उपकरण बनाएगा. इससे मेडिकल उपकऱणों की कमी दूर होगी और इनकी खरीद के लिए विदेश पर निर्भरता कम होगी.
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India And Japan Agreement: मेड इन इंडिया मेडिकल और सर्जिकल उपकरण डेवलप करने के लिए दिल्ली के एम्स और जापान के ओसाका विश्वविद्यालय के बीच एक समझौता हुआ है जिसके तहत सस्ते मेडिकल और सर्जिकल उपकरण बनाए जाएंगे. हाल ही में जापान का एक प्रतिनिधिमंडल जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जिका) के अधिकारियों के साथ एम्स के दौरे पर था.
यह दौरा एक दशक पहले दोनों देशों के बीच किए गए कोऑपरेटिव प्रयासों का ही एक हिस्सा है जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान गए थे. वहां पीएम मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने 1 सितंबर 2014 को टोक्यो में अपने शिखर सम्मेलन में एक संयुक्त बयान जारी किया था.
एम्स और जापान विश्वविद्यालय के बीच समझौता
इस शिखर सम्मेलन के बाद एम्स और जापान के ओसाका विश्वविद्यालय ने 13 अक्टूबर 2014 को एक समझौता (एमओयू) साइन किया था. इस समझौते का मकसद नए और सस्ते सर्जिकल उपकरणों के विकास के लिए था. ये भारत और जापान के मेडिकल संस्थानों के बीच पहला रिसर्च कोऑपरेशन है.
हाल ही में हुए दौरे में एम्स दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर एम. श्रीनिवास की अध्यक्षता में एक हाई प्रोफाइल बैठक हुई थी.इस बैठक में एम्स में एक राष्ट्रीय केंद्र की स्थापना पर बातचीत हुई, जो भारत "मेक इन इंडिया" की पहल के आगे का हिस्सा है. जापानी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई ओसाका विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मेडिसिन में नेक्स्ट जनरेशन एंडोस्कोपिक इंटरवेंशन विभाग के प्रोफेसर डॉ. कियोकाज़ू नाकाजिमा कर रहे थे.
इस बैठक में चिकित्सा उपकरण के डेवलपमेंट, मान्यता और स्किल ट्रेनिंग लिए एक मॉर्डन और पब्लिक फाइनेंसियल रिसर्च सेंटर बनाने के लिए तकनीकी पहलुओं और प्रस्तावों पर बातचीत हुई.जापान के प्रतिनिधिमंडल ने एम्स दिल्ली के झज्जर परिसर में इस सेंटर के लिए प्रस्तावित स्थल का भी दौरा किया.
ये नई योजना भारत द्वारा आयात किए जा रहे सर्जिकल उपकरणों पर निर्भरता को कम करने के मकसद से बनाई गई है, जो वर्तमान में 70% से अधिक है. इस सेंटर के जरिए भारतीय सर्जनों, मेडिकल प्रेक्टिशनर्स और इंजीनियरों को चिकित्सा उपकरण प्रोटोटाइप की अवधारणा, डिजाइन, डेवलपमेंट और टेस्टिंग के लिए एक प्लेटफार्म प्रदान करने की उम्मीद दिलाता है. प्रौद्योगिकी और ज्ञान हस्तांतरण के क्षेत्र में जापान की मदद से मिलने वाली सुविधा में ये काफी महत्वपूर्ण साबित होगा.
खासकर ज्यादा आबादी वाले क्षेत्रों के लिए हाई क्वालिटी वाले सर्जिकल उपकरण आसानी से मिल सकेंगे. इसके साथ साथ मेडिकल और सर्जिकल उपकरण की डेवलपमेंट के लिए छोटे और मध्यम आकार के बिजनेस को बढ़ाने के लिए एक इकोसिस्टिम बनाने और उसे विकसित करने का प्रयास भी मेक इन इंडिया की नीति के अनुरूप है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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