हैरतअंगेज! मोटापा कम करने के चक्कर में ब्रेन डिसऑर्डर का शिकार हो गई ये महिला
नैचरोपैथी बेस्ड वेट लॉस प्रोग्राम आजकल बहुत पॉपुलर हो रहा है. लेकिन इसका बहुत नुकसान भी हो रहा है. एक 33 वर्षीय महिला को हाल ही में इसका खामियाजा भुगतना पडा. आज ये महिला हॉस्पिटल्स के चक्कर काट रही है. चलिए जानते हैं क्या है मामला.
नई दिल्लीः नैचरोपैथी बेस्ड वेट लॉस प्रोग्राम आजकल बहुत पॉपुलर हो रहा है. लेकिन इसका बहुत नुकसान भी हो रहा है. एक 33 वर्षीय महिला को हाल ही में इसका खामियाजा भुगतना पडा. आज ये महिला हॉस्पिटल्स के चक्कर काट रही है. चलिए जानते हैं क्या है मामला.
क्या है मामला- पुणे, नांदेड़ की रहने वाली 33 वर्षीय महिला गौरी आत्रे ने वजन कम करने के लिए वेट लॉस प्रोग्राम लिया था. नतीजन, इस महिला का न्यूरोलॉजिकल सिस्टम डैमेज हो गया है. अब वह ना ठीक से बोल पाती है, ना कहीं मूव कर पाती है यहां तक कि उन्हें बैठने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इसके अलावा गौरी को कई असामान्य प्रॉब्लम्स भी हो रही हैं जैसे उनके हाथ, गर्दन और पैरों में कंपन की समस्या आ रही है. हाल ही में गौरी को पुणे स्थित रूबी हॉल क्लीनिक में भर्ती करवाया गया है. फिलहाल गौरी को ट्रेमर यानि कंपन कंट्रोल करने के लिए दवाएं दी जा रही हैं.
क्या कहना है नैचरोपैथी क्लिनिक के डॉक्टर का- नांदेड स्थित नैचरोपैथी क्लिनिक जहां गौरी ने वेट लॉस ट्रीटमेंट लिया था, के डॉक्टर्स का कहना है कि कुछ मामलों में ऐसा संभव है. आपको बता दें, गौरी नांदेड के निसर्गांजली संस्था नैचरोपैथी क्लीनिक में मोटापे का इलाज कराने के लिए भर्ती हुई थी. क्लींनिक के डॉ. सुनील कुलकर्णी का कहना है कि उन्होंने 21 दिन का वेट लॉस प्रोग्राम लिया था जो कि 26 अगस्त 2017 से शुरू हुआ था.
क्या-क्या हुआ था वेट लॉस प्रोग्राम में- वेट लॉस प्रोग्राम के गौरी को फूड्स का काढ़ा और एनीमा दिया जाता था. 21 दिन के कोर्स के बाद गौरी को 35 दिन के लिए यानि 16 सितंबर से 20 अक्टूबर 2017 तक सादे पानी और एनीमा पर रखा गया.
क्या कहना है गौरी की मां का- गौरी की मां माया भास्कर का कहना है कि गौरी को निसर्गांजली संस्था से डिस्चार्ज कर दिया. घर पर वे डॉक्टर की सलाह पर नींबू पानी और गुड के साथ ही एनीमा भी लेने लगी.
नवंबर के पहले सप्ताह में गौरी की तबियत बिगड़ने लगी. उसे दिखाई देने में दिक्कतें होने लगी. उसके शरीर की स्ट्रेंथ कम हो गई. मेमोरी लोस से लेकर उसे सांस लेने तक में दिक्कत होने लगी. इसके बाद गौरी को पुणे, नांदेड के जीजामाता हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया. जहां वे पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाई तो उन्हें हैदराबाद के अपोलो हॉस्पिटल ले जाया गया. वहां गौरी का 20 दिन तक इलाज किया गया. वहां रिपोर्ट्स में आया कि गौरी का न्यूरोलॉजिकल सिस्टम डैमेज हो गया है. वे लिक्विड डायट तक नहीं ले पा रही थीं. आज वे ठीक से बोल भी नहीं पाती.
बाद में 23 फरवरी 2018 को गौरी को पुणे के रूबी हॉल क्लीनिक में भर्ती करवाया गया. जहां उनके कई तरह के टेस्ट के बाद सामने आया कि वे पोस्ट एन्सेफैलोपैथी स्टेट्स से गुजर रही हैं यानि उनका ब्रेन डैमेज हो गया है.
क्या कहना है एक्सपर्ट का- रूबी हॉल क्लीनिक के न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. राजस देशपांडे का कहना है कि गौरी का बेसल गैंगलिया यानि दिमाग का वो केंद्रीय भाग जो इंसान को मोमेंट्स को कवर करता है, डैमेज हो गया है. बेसल गैंगलिया होने के कई कारण है. ऑक्सीजन की कमी, ब्रेन में ब्लड की सप्लाई कम होना, ब्लड शुगर कम होना, वायरल इंफेक्शन होना जैसे जैपनीज बी वायरस बेसल गैंगलिया को डैमेज कर सकते हैं.
डॉ. देशपांडे का कहना है कि गौरी के केस में मेटाबॉलिज्म एन्सेफैलोपैथी होने के दो कारण हो सकते हैं. शरीर में सोडियम की कमी होना और यूरिया या अमोनिया के लेवल में बढ़ोत्तेरी होना. जिसकी वजह से बेसल गैंगलिया डैमेज हो गया. दूसरा गौरी ने जो काढ़ा पीया वो उनके शरीर में टॉक्सिक या जहर के रूप में फैल गया जिससे बेसल गैंगलिया डैमेज हो गया.
नैचरोपैथी क्लीनिक के डॉ. सुनील कुलकर्णी का कहना है कि हम मरीज को नैचरोपैथी लाइन के तहत ही ट्रीटमेंट देते हैं. वे ट्रीटमेंट के दौरान सिर्फ पानी पीते हैं. हम 20 से 25 दिन की फास्टिंग मरीज के वजन के हिसाब से करवाते हैं. टीट्रमेंट के दौरान कई मरीज डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं तो ऐसे में ट्रीटमेंट का प्रोसीजर बदलते हैं. हालांकि जो मरीज हमारे ट्रीटमेंट की गाइडलाइन ठीक से फॉलो नहीं करते उनको भी कॉम्प्लिकेशंस आ जाते हैं. हां, काढ़ा से कुछ नहीं होता लेकिन ग्रास टी और नीम के जूस से मरीज को कुछ समस्याएं हो सकती हैं.
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