Liposuction: क्या वेटलॉस के लिए लिपोसक्शन कराना सही है, जानिए रिस्क और साइड इफेक्ट्स
लिपोस्कशन एक तरह की कॉस्मेटिक प्रक्रिया है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सिर्फ एक प्रोसिजर नहीं है. बल्कि सेल्फ इंप्रूवनमेंट और कॉन्फिडेंस लाने के लिए अपनाई गई एक स्वस्थ प्रक्रिया है.
Liposuction: वजन घटाने की खातिर लोग तरह तरह के तरीके और तरह तरह के पेटर्न अपनाते हैं. कुछ लोग अलग अलग डाइट्स फॉलो करते हैं तो कुछ सर्जरी का रास्ता चुनते हैं. अब इस दिशा में लिपोसक्शन भी पॉपुलर हो रहा है. ये एक तरह का कॉस्मेटिक प्रोसिजर है जो शरीर से एक्सिस फेट को बाहर करता है. इस प्रोसिजर को करवा कर खुद को रिशेप किया जा सकता है.साथ ही शरीर के किसी भी स्पेसिफिक एरिया से फेट रिमूव करवाया जा सकता है. ये प्रकिया तब सबसे ज्यादा सेफ मानी जाती है जब किसी क्वालिफाइड और बोर्ड सर्टिफाइड अनुभवी प्लास्टिक सर्जन से करवाई जाती है.
लिपोस्कशन के रिस्क और साइड इफेक्ट्स
लिपोस्कशन क्या है?
लिपोस्कशन एक तरह की कॉस्मेटिक प्रक्रिया है. कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि ये सिर्फ एक प्रोसिजर नहीं है. बल्कि सेल्फ इंप्रूवनमेंट और कॉन्फिडेंस लाने के लिए अपनाई गई एक स्वस्थ प्रक्रिया है. इस प्रक्रिया को सीधे सीधे वेटलॉस प्रोसिजर नहीं कहा जा सकता है. असल में ये एक प्रक्रिया है जिसके तहत शरीर के किसी हिस्से में जमा जिद्दी फैट को सर्जरी के माध्यम से रिमूव कर दिया जाता है. जो फैट डाइट और एक्सरसाइज से नहीं जाता लिपोरस्कशन उस फैट को रिमूव करता है.
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क्या हैं कॉमन रिस्क?
लिपोस्कशन करवाने के बाद सबसे आसानी से होने वाली आम परेशानियों में इंफेक्शन, ब्लीडिंग और एनेस्थिसिया के प्रति कुछ खराब रिएक्शन जिम्मेदार होते हैं. एक्सपर्ट्स का मानना है कि मरीजों की सेफ्टी की खातिर स्ट्रिजेंट स्टराइल टेक्नीक को अपनाना जरूरी है.
प्रोसीजर होने के बाद जब पेशेंट रिकवर कर रहा होता है तब स्वेलिंग, ब्रूसिंग और नंबनेस का अहसास भी हो सकता है. ये जरूरी है कि सर्जरी करवाने से पहले डॉक्टर् पेशेंट को मेंटली इन सब तकलीफों के लिए तैयार करें. साथ ही पेशेंट भी सारे रिस्क को अच्छे से जान लें.
इंडिवजल एसेसमेंट भी जरूरी है
हर इंसान का शरीर हर जगह नहीं होता. इसलिए सबको सर्जरी के बाद होने वाले परेशानियां भी अलग अलग तरह की होती है. इसलिए डॉक्टर्स भी किसी भी मरीज का लिपोसक्शन करने से पहले उसका इंडिविजुअल असिस्मेंट जरूर करते हैं. वैसे तो लिपोस्कशन करवाने के लिए एज की कोई बाध्यता नहीं है.
लेकिन किस जगह से कितना फैट निकाला जा रहा है. वो एरिया कितना बड़ा है. पेशेंट की मेडिकल हिस्ट्री क्या है, ये सब ध्यान में रखना जरूरी है. किसी भी पेशेंट की स्किन इलास्टिसिटी, ओवरऑल हेल्थ और मेंटल स्टेट्स प्रक्रिया को आसान या कठिन बनाते हैं.
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इन्हें होती है खास देखभाल की जरूरत
जिन मरीजों को लिपोसक्शन कराने के पहले और बाद में खास देखभाल की जरूरत होती है. उसमें कुछ खास बीमारियों से पहले से पीड़ित मरीज शामिल हैं. मसलन अगर कोई डायबिटीक पेशेंट ये सर्जरी करवाना चाहता है तो वो तब ही ये करवा सकता है जब उसकी शुगर कंट्रोल हो. इस के अलावा हाइपरटेंसिव पेशेंट सर्जरी से पहले भी और बाद में भी ज्यादा केयर की जरूरत रखते हैं.
कौन न करवाएं लिपोसक्शन
कुछ पेशेंट को चाहते हुए भी लिपोसक्शन नहीं करवाना चाहिए. इसमें वो लोग शामिल होते हैं जिन्हें किसी किस्म का न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है या इम्यून सिस्टम कमजोर है. जो सर्जरी के बाद एक सिस्टमेटिक लाइफस्टाइल को फॉलो नहीं कर सकते. इसके अलावा जिनकी स्किन इलास्टिसिटी खराब है या फिर वेट मिसमैनेज्ड है, उन्हें भी लिपोसक्शन न करवाने की सलाह दी जाती है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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