Household Air Pollution: दुनिया भर में लगभग 2.3 बिलियन लोग यानि वैश्विक आबादी के तिहाई संख्या आज भी  खुली आग, चूल्हा केरोसिन, बायोमास यानी लकड़ी, पशुओं के गोबर या फिर कोयले से चलने वाले स्टोव का इस्तेमाल कर खाना पकाते हैं. इससे निकलने वाला हानिकारक घरेलू वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर भारी पड़ता है. इसे लेकर आई WHO की रिपोर्ट देख आप भी चौंक जाएंगे. यह नुकसानदायक हाउसहोल्ड एयर पॉल्यूशन ना सिर्फ लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है बल्कि खास तौर पर बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है.


बच्चों के लिए जानलेवा है ये धुआं 
गैस सिलेंडर से लेकर एयर फ्रायर तक भले ही तकनीक बेहद आधुनिक हो गई हो लेकिन आज भी दुनिया भर के तकरीबन 2.3 बिलियन आबादी चूल्हा, स्टोव या फिर कोयले और लकड़ी का इस्तेमाल कर खाना पकाने की मजबूर हैं. इनमें से अधिकांश लोग गरीब और निम्न तबके से आने वाले हैं. WHO की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो घरेलू वायु प्रदूषण के चलते साल 2020 में प्रति वर्ष अनुमानित 3.2 मिलियन मौतों के लिए जिम्मेदार था, जिसमें 5 साल से कम उम्र के 2 लाख 37 हज़ार से अधिक बच्चों की मौतें शामिल थीं.


घरेलू ईंधन से इन बीमारियों का बढ़ा खतरा 
घरेलू वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक, हृदय रोग, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और फेफड़ों का कैंसर सहित  नॉन-कम्युनिकेबल डिसीसिस हो रही है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाएं और बच्चे खास और ऊपर इस तरह की बीमारियों का शिकार होते हैं. घरेलू वायु प्रदूषण से होने वाले प्रदूषण में स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाले कई तरह के प्रदूषक शामिल होते हैं, जिनमें छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों में गहराई तक घुस जाते हैं और ब्लड सर्कुलेशन में प्रवेश कर जाते हैं.


चूल्हे में खाना बनाने वाली महिलाएं और बच्चे शिकार 
वो घर जहां पर पूरी तरीके से वेंटिलेशन नहीं होता उन घर के अंदर धुआं घुस जाता है और फिर पूरी तरीके से बाहर नहीं निकल पाता. महिलाओं और बच्चों में जोखिम विशेष रूप से अधिक है, जो घर के चूल्हे के पास सबसे अधिक समय बिताते हैं. दरअसल जब घर की महिलाएं चूल्हे या फिर खुली आग में खाना पकाती हैं तो घर के अंदर धुआं बढ़ जाता है और यह धुआं छोटे बच्चों की सेहत को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है और जानलेवा तक साबित होता है. 


पीएम की उज्ज्वला योजना के बाद घटा खतरा
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि, खाना पकाने के ईंधन के रूप में एलपीजी के इस्तेमाल से अकेले साल  2019 में प्रदूषण से संबंधित करीब 1.5 लाख अकाल मौतों को रोकने का अनुमान है. इस रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि पीएम उज्ज्वला योजना ने उस वर्ष कम से कम 1.8 मिलियन टन पीएम2.5 उत्सर्जन से बचने में भी मदद की. रिपोर्ट की माने तो वायु प्रदूषण से होने वाली 13% मौतों में कमी आई है. 


WHO की गाइडलाइन 


घरेलू वायु प्रदूषण को कम करने और सेहत के बचाव के लिए स्वच्छ ईंधन और तकनीक के उपयोग को बढ़ाना जरूरी है. इनमें सौर ऊर्जा, बिजली, बायोगैस, लिक्विफाइड पेट्रोलियम गैस (LPG), नेचुरल गैस, अल्कोहल ईंधन, साथ ही बायोमास स्टोव शामिल हैं जो डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक सुरक्षित है और जिनका उपयोग बढ़ाना चाहिए.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.