आजकल माइक्रोप्लास्टिक को लेकर हर तरफ चर्चा हो रही है. दरअसल, माइक्रोप्लास्टिक ह्यूमन टिश्यूज, चट्टान से लेकर बोतलबंद पानी में भी मिल जाते हैं. लेकिन उससे भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि एक टी-बैग में कितने सारे माइक्रोप्लास्टिक छिपे हैं. जिसका अंदाजा आप लगा भी नहीं सकते हैं. ऑटोनोमस यूनिवर्सिटी ऑफ बर्सिलोना जोकि स्पेन में स्थापित हैं वहां के रिसर्चर ने खुलासा किया है कि प्रत्येक चाय की थैली पानी के प्रत्येक मिलीमीटर में अरबों माइक्रो- और नैनोप्लास्टिक (एमएनपीएल) कण छोड़ सकती है.


ये आंकड़े आश्चर्यजनक रूप से काफी ज्यादा लग सकते हैं, लेकिन वे प्लास्टिक और उच्च ताप के संयोजन को देखते हुए पिछले शोध के अनुरूप हैं, जैसे कि माइक्रोवेव में रखे गए खाद्य कंटेनर. यह एमएनपीएल के प्रचलन की एक गंभीर याद दिलाता है.


दरअसल प्लास्टिक टी बैग आपके कप में हार्मफुल पार्टिकल्स को छोड़ देता है, जिसमें गुड बैक्टीरिया को प्रभवित करने की क्षमता देखी गई है. वहीं ज्यादातर टी बैग्स में स्टेपल पिन का उपयोग होता है तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.


चाय कैसे पिएं
चाय को उसके प्रोसेस के अनुसार पका कर ही पीना सही है. मार्केट में ग्रीन टी, ब्लैक टी या और भी कई प्रकार की हर्बल टी लूज रूप में उपलब्ध हैं, जिसे पानी में उबालकर छानकर ही पीना सेहत के लिए सही है.


डायबिटिक पेशेंट के लिए नहीं होती अच्छी
टी बैग्स में एक्स्ट्रा कैफीन होता है जो ब्लड ग्लूकोज लेवल को डिस्टर्ब कर देता है. हालांकि टर्मरिक टी, हिबिस्कस टी, सिनामन टी, कैमोमाइल टी जैसे हर्बल टी एंटी डायबिटिक होते हैं.


इसके बावजुद अधिक कैफीन वाले टी बैग के इस्तेमाल से डायबिटिक पेशेंट को इसका नुकसान होता है.


नहीं मिलता असली स्वाद
दरअसल टी बैग में जो पत्तियां को डाला जाता है वह बड़े ही लंबी प्रक्रिया से होकर छाटकर पैक होता है. इसलिए इसका स्वाद उतने अच्छी तरीके से घुल नहीं पाता वहीं, चाय की पत्तियां पानी में जब अच्छी तरह घुलती हैं तो स्वाद में निखार आता है. 


तीन तरह के टी-बैग पर किया गया है रिसर्च


पहले भी कई तरह के रिसर्च किए गए हैं जिसमें पाया गया कि चाय की थैलियों से निकलने वाले सिंथेटिक कणों की मात्रा और संभावित स्वास्थ्य प्रभाव के बारे में चिंता जताई गई है, तीन तरह की चाय की थैलियों पर रिसर्च किया गया. मुख्य रूप से पॉलीप्रोपाइलीन से बने टी बैग ने प्रति मिलीलीटर लगभग 1.2 बिलियन कण छोड़े, जिनका आकार औसतन 136.7 नैनोमीटर था. सेल्यूलोज बैग ने प्रति मिलीलीटर औसतन 135 मिलियन कण छोड़े, जिनका आकार लगभग 244 नैनोमीटर था। नायलॉन-6 टी बैग ने आम तौर पर प्रति मिलीलीटर 8.18 मिलियन कण छोड़े, जिनका आकार औसतन 138.4 नैनोमीटर था.


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रिसर्चर के मुताबिक एमएनपीएल कण मानव आंतों की कोशिकाओं के साथ कैसे संपर्क करते हैं, उन्होंने पाया कि बलगम बनाने वाली कोशिकाओं में प्लास्टिक के कोशिका नाभिक तक पहुँचने के लिए अवशोषण स्तर पर्याप्त थे - हमारे शरीर में अब तैर रहे प्लास्टिक के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का आकलन करने के संदर्भ में एक उपयोगी खोज.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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