Kamal Haasan Disease : दिग्गज अभिनेता कमल हासन जितने खुशमिजाज रहते हैं, अंदर से उतनी ही तकलीफ उन्हें रहती है. वह एक बीमारी से जूझ रहे हैं, जिसका कोई इलाज नहीं है. इस बीमारी का नाम टाइप-1 डायबिटीज (Type-1 Diabetes) है. जिसे सिर्फ कंट्रोल करके ही जिंदगी अच्छी तरह गुजारी जा सकती है. आइए जानते हैं आखिर टाइप-1 डायबिटीज क्या है, इसमें एक्टर को क्या-क्या दिक्कतें आती हैं...
टाइप-1 डायबिटीज बीमारी
CDC के अनुसार, टाइप-1 डायबिटीज मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है. इसे इंसुलिन-डिपेंडेंट डायबिटीज या जुवेनाइल डायबिटीज भी कहते हैं. ये बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है. हालांकि, ज्यादातर बच्चे इसका शिकार बनते हैं. इस बीमारी में पैंक्रियाज इंसुलिन हॉर्मोन का प्रोडक्शन कम या पूरी तरह बंद कर देता है. इसी हॉर्मोन से शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल और रेगुलेट होता है.
टाइप-1 डायबिटीज क्यों होती है
सीडीसी के मुताबिक, जब इम्यून सिस्टम गलती से पैंक्रियाज में इंसुलिन बनाने वाली बीटा सेल्स को डैमेज कर देता है, तब टाइप-1 डायबिटीज हो जाती है. यह ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होती है, जो पीढ़ी-दर-पपीढ़ी भी हो सकती है, इसलिए ज्यादा खतरनाक मानी जाती है. यही कारण है कि डॉक्टर दिनचर्या और खानपान बेहतर बनाने की सलाह देते हैं.
टाइप-1 डायबिटीज के क्या-क्या लक्षण हैं
1. अचानक से वजन कम हो जाना
2. सोते हुए बिस्तर पर यूरिन आना
3. बार-बार पेशाब आना
4. धुंधला नजर आना
5. बार-बार प्यास लगना
6. बहुत ज्यादा भूख लगना
7. बहुत जल्दी थकान और कमजोरी महसूस होना
टाइप-1 डायबिटीज में क्या करना पड़ता है
1. इस बीमारी का कोई परमानेंट इलाज नहीं है, इसके लक्षणों को मैनेज कर सकते हैं.
2. हेल्दी डाइट अपनानी चाहिए.
3. इंसुलिन का इंजेक्शन समय-समय पर लेते रहना
4. नियमित एक्सरसाइज और योग करना
5. ब्लड शुगर को मॉनिटर करना
6. आंखों, किडनी और लिवर का खास ख्याल रखना
7. ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करना
8. स्ट्रेस से दूरी बनाना
टाइप 1 डायबिटीज का खतरा किसे है ?
इस प्रकार के डायबिटीज के बारे में अभी बहुत शोध करने की ज़रूरत है। इसी तरह इसके खतरे या रिस्क फैक्टर्स के बारे में भी बहुत कम जानकारी उपलब्ध है. हालांकि, रिसर्चर्स ने कुछ ऐसे ग्रुप्स का पता लगाया है जिन्हें टाइप 1 डायबिटीज का खतरा दूसरों की तुलना में अधिक है, जैसे:
- ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता दोनों को डायबिटीज हो
- जेस्टेशन डायबिटीज से पीड़ित मां के बच्चे
- पैंक्रियाज़ से जुड़े इंफेक्शन, चोट या ट्रॉमा से गुज़र चुके बच्चे
- बहुत ठंडे प्रदेशों में रहने वाले लोग
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें :