People Hide Their Illness: बीमारी दर्द और परेशानियों की वजह होती है. यकीनन हम सभी अपनी बीमारी के बारे में हर किसी से बात करना पसंद नहीं करते. बेशक लक्षण जरूर जाहिर कर देते हैं लेकिन  जब कोई आपसे आपकी सेहत को लेकर सवाल करता है तो जवाब ठीक है ही होता है. कोई डिप्रेशन का शिकार है तो कोई कैंसर जैसी जान लेवा बीमारी से लड़ रहा है. किसी को मिर्गी है तो कोई एड्स से जूझ रहा है. यही नहीं गले में खराश या सर्दी जुकाम होने पर भी लोग ऑफिस जाकर बीमार होते हुए भी खुद को स्वस्थ दिखाने की ही कोशिश करते हैं.


क्यों बीमारी छिपाते हैं लोग 


जाने अनजाने यकीनन आपके साथ भी ऐसा जरूर हुआ होगा. दरअसल हाल ही में आई एक रिसर्च रिपोर्ट में जिस बात का खुलासा हुआ है वो हैरान कर देने वाली है. साइकोलॉजिकल साइंस मे पब्लिश एक रिसर्च से पता चला है कि यह व्यवहार बिल्कुल सामान्य है. दरअसल लोग अपनी बीमारी के बारे में छुपाते हैं और उसके बारे में बात करना पसंद नहीं करते.


 रिसर्च में बताया गया है कि लक्षण ज्यादा गंभीर या इंफेक्शन होने पर भी लोग अपने सिम्टम्स को छुपाने की कोशिश करते हैं. न सिर्फ सर्दी जुकाम बल्कि फ्लू जैसी गंभीर समस्या को भी लोग दूसरों से शेयर नहीं करना चाहते.


 100 करोड़ लोग छुपा रहे हैं अपनी बीमारी


रिसचर्स ने सोशल बिहेवियर के पीछे की वजह जानने की जब कोशिश की तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई. शोधकर्ताओं ने पाया कि इसका कोई एक कारण नहीं है. दरअसल लोग दूसरों के जज किए जाने से डरते हैं और निंदात्मक सोच के कारण अपनी बीमारी छिपा ले जाते हैं.


जज होने से डरते हैं लोग 


लोगों को यही लगता है कि अगर उन्होंने अपनी परेशानी सबसे बता दी तो उन्हें काम करने के मौके नहीं मिलेंगे. लोगों से दूरी बना लेना और ऑफिस में भेदभाव होना.दरअसल यह सोच लोगों के मन में घर कर गयी है कि समाज में बीमार व्यक्ति को ही कमजोर माना जाता है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनियाभर में करीब 100 करोड़ ऐसे लोग हैं जो अपनी बीमारी छुपा कर जी रहे हैं


कोविड के बाद बाद बीमारी छुपाने का ट्रेंड


व्यक्ति स्वाभाविक रूप से सामाजिक प्राणी है. समाज के बीच खुद को स्वस्थ और मजबूत दिखाना लोगों को एक बेहतर तरीका लगता है. सामाजिक स्वभाव की बीमारी छुपाने के लिए प्रेरित भी करता है. यही बीमारी बढ़ने का कारण होता है. दरअसल अगर कोई संक्रामक बीमारी हो जाए तो उसे रोकने का सबसे बड़ा जरिया खुद को लोगों से अलग थलग कर लेना है. कोविड के दिनों में लोगों को आइसोलेशन में रखा गया था. जब भी आप कोई ऐसी बीमारी होती है तो लोगों को वही कोविड  के दिन याद आ जाते हैं. फाइनेंशियल प्रेशर और काम की प्रतिबद्धता भी लोगों को अपनी बीमारी छुपाने के लिए प्रेरित  है यही वजह है कि कोरोना महामारी के बाद से बीमारी छुपाने का ट्रेंड पड़ गया है.


बीमारी पर बात करना जरूरी


हालांकि रिसचर्स ने इस अनकंफरटनेस के बावजूद बीमारी और लक्षण पर बात करने की सिफारिश की है. दरअसल बीमार होने पर अपनी परेशानी और लक्षण बताने से न सिर्फ आप खुद को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि अपने आसपास के लोगों की स्वास्थ्य का भी ख्याल रख सकते हैं. खास तौर पर दिल के मरीज और बुजुर्ग बच्चों जैसे कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को ऐसा करने से बीमारी के संक्रमण से रोका जा सकता है. 


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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