Buffalo Milk in Piles : बवासीर जिसे पाइल्स और हेमोराइड (Hemorrhoids) भी कहा जाता है. इस बीमारी में मलाशय और गुदा का हिस्सा प्रभावित होता है. आमतौर पर यह बीमारी कब्ज की वजह से होती है. इसमें बेहद तकलीफ का सामना करना पड़ता है. पाइल्स दो तरह की होती है. खूनी और बादी. हेल्थ एक्सपर्ट्स इस बीमारी में खानपान का खास ध्यान रखने की सलाह देते हैं.
फाइबर से भरपूर फूड्स खाने की सलाह देते हैं, ताकि स्टूल टाइट न रहे. पाइल्स के कुछ मरीज दूध पीने को लेकर कंफ्यूज रहते हैं, जबकि कुछ का मानना है कि भैंस का दूध पीने से पाइल्स ठीक हो जाती है. आइए जानते हैं असली सच...
भैंस के दूध के फायदे
भैंस के 100 ml दूध में 237 कैलोरी, 17.3% कैल्शियम, 7.8% प्रोटीन, 4.3% विटामिन ए पाया जाता है. इसके अलावा पोटेशियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक और एंटीऑक्सीडेंट्स भी मिलता है. भैंस का दूध पीने से खून की कमी दूर होती है, हड्डियां मजबूत बनती हैं, दिल की सेहत दुरुस्त रहती है. इसके अलावा ये शरीर में प्रोटीन की कमी भी पूरी करता है और वजन घटाने-बढ़ाने में मददगार होता है.
पाइल्स में भैंस का दूध पीना चाहिए या नहीं
दूध गाय का हो या भैंस का पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसका सेवन करने से शरीर सेहतमंद बनता है. दूध में कैल्शियम,विटामिन डी और प्रोटीन पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. हालांकि, कुछ लोगों को दूध पीने से कब्ज की समस्या होती है, जो पाइल्स बढ़ाने का एक कारण हो सकती है. ऐसे लोग जिनका पाचन खराब रहता है, दूध उनके पाचन पर दबाव डालता है.
पाइल्स में क्यों नहीं पीना चाहिए भैंस का दूध
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, भैंस के दूध में एवरेज 7 परसेंट तक फैट होता है, जबकि गाय के दूध में 3.5% फैट ही पाया जाता है. भैंस के दूध में सॉलिड नॉट फैट 9 प्रतिशत पाया जाता है और गाय के दूध में यह 8.5% होता है. इसलिए भैंस का दूध पीने से अपच की समस्या की हो सकती है.
अपच कब्ज को बढ़ाता है और बवासीर के लक्षणों को बढ़ाता है. पाइल्स के ऐसे मरीज, जिनका वजन ज्यादा है, वे अगर भैंस का दूध पीते हैं तो उनकी बॉडी में एक्स्ट्रा फैट जमा हो जाएगा, जिससे गुदा द्वार पर दबाव पड़ सकता है, इससे पाइल्स की समस्या बढ़ जाएगी, इसलिए पाइल्स में इस दूध को पीने से बचना चाहिए. हालांकि, अगर पाचन मजबूत है तो डॉक्टर की सलाह पर दूध का सेवन कर सकते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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