Cervical Cancer Myths and Facts : सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में होने वाली बेहद खतरनाक बीमारी है. देश की महिलाओं को होने वाले सभी कैंसर में 6-29% केस सर्वाइकल कैंसर के ही होते हैं. सर्वाइकल कैंसर से जुड़े 99% से ज्यादा केस HPV इंफेक्शन की वजह से होते हैं. इस तरह के कैंसर का खतरा जानकारी के अभाव में होता है. इसे लेकर कई तरह के मिथ और फैक्ट्स भी हैं, जिनसे इस बीमारी का खतरा तेजी से बढ़ रहा है.


ऐसी बातों को लेकर 'एबीपी लाइव हिंदी' की खास पेशकश है Myth Vs Facts.  'Myth Vs Facts सीरीज' की कोशिश है कि आपको दकियानूसी बातों की दलदल से निकालकर आपतक सच्चाई पहुंचाना. ऐसे में सर्वाइकल कैंसर से जुड़े सभी कंफ्यूजन दूर करें...


Myth 1. अगर दर्द नहीं तो कोई कैंसर भी नहीं
Fact- यौन संबंध बनाते समय दर्द या पेल्विक दर्द होने को इग्नोर नहीं करना चाहिए. यह दर्द कैंसर के एडवांस स्टेज में पहुंचने के बाद ही शुरू होता है, इसलिए कैंसर की पहचान के लिए दर्द के लक्षण पर डिपेंड नहीं रहना चाहिए. डॉक्टर के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षणों में पीरियड के बीच या मेनोपॉज बाद वजाइनल ब्लीडिंग, यौन संबंध बाद ब्लीडिंग, यौन संबंध के दौरान दर्द या वजाइनल डिस्चार्ज होना है.


Myth 2. एचपीवी वैक्सीन लगवाने के बाद सर्वाइकल कैंसर की जांच की जरुरत नहीं है.
Fact- ज्यादातर वैक्सीन दो नॉर्मल हाई रिस्क एचपीवी सबटाइप्स 16 और 18 से सेफ्टी देते हैं लेकिन इसके अन्य सबटाइप्स कैंसर की वजह बन सकते है, इसलिए नियमित तौर पर जांच करवाते रहना चाहिए.


Myth 3.  एचपीवी टेस्ट पॉजिटिव का मतबल सर्वाइकल कैंसर हो गया है.
Fact- पॉजिटिव रिजल्ट आने के बाद भी टेस्ट करवाने जरूरी होते हैं, ताकि कैंसर से पहले की गांठों की पहचान मिल सके. हर एक से दो साल में एचपीवी टेस्ट करवाते रहना चाहिए. ज्यादातर महिलाओं यानी 95% से ज्यादा में उनका इम्यून सिस्टम हाई रिस्क वाले एचपीवी इंफेक्शन खत्म कर देती है लेकिन अगर हाई रिस्क वाली गांठ बनी है तो कोल्पोस्कोपी नाम की खास टूल से जांच की जाती है, ताकि अगर गांठ दिखता है तो तुरंत इलाज हो जाए.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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