Chandipura Virus : गुजरात में इन दिनों चांदीपुरा वायरस का खौफ है. रविवार को सूरत में इसका पहला संक्रमित मिला. जहां स्लम एरिया में रहने वाली 11 साल की बच्ची में यह वायरस पाया गया है.  रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक इसके 27 संदिग्ध केस मिल चुके हैं, जबकि 15 मौतें भी हो चुकी हैं.


सबसे ज्यादा केस साबरकांठा और अरावली से हैं. हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि चांदीपुरा वायरस का खतरा ज्यदाातर गांवों में ही है, शहरी एरिया में इसका खतरा काफी कम है. आइए जानते हैं आखिर यह वायरस कितना खतरनाक है और इसके शहरों में आने की गुंजाइश क्यों कम है...


चांदीपुरा वायरस क्या है
चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) आरएनए वायरस है, जो मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से फैलता है. एडीज मच्छर भी इसके लिए जिम्मेदार है. यह पहली बार साल 1966 में महाराष्ट्र में चांदीपुरा में पाया गयाथा. इस जगह के नाम पर ही इसकी पहचान हुई. इसी से इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ा.


पहले केस की जब जांच की गई तो तो पाया गया कि यह वायरस रेत में घूम रही एक मक्खी की वजह से फैला. 2003-04 में इस वायरस का सबसे ज्यादा केस महाराष्ट्र, उत्तरी गुजरात और आंध्र प्रदेश में देखने को मिला, जब 300 से ज्यादा बच्चों की इससे मौत हो गई.


चांदीपुरा वायरस का सबसे ज्यादा खतरा किसे
चांदीपुरा वायरस बच्चों को अपना शिकार बनाता है. 9 महीने से 14 साल के बच्चों को इससे सबसे ज्यादा खतरा रहता है. यह संक्रमण तब फैलता है, जब वायरस मक्खी या मच्छर के काटने के बाद उसके लार से खून तक पहुंच जाता है. 


चांदीपुरा वायरस के क्या लक्षण


बच्चों में तेज बुखार
उल्टी-दस्त
मांसपेशियों में खिंचाव
कमजोरी, बेहोशी


चांदीपुरा वायरस से शहरों में फैलने का खतरा कम क्यों  
चांदीपुरा वायरस  रेत में पाई जाने वाली मक्खियों की वजह से होता है. ज्यादातर रेत ग्रामीण इलाकों में ही पाए जाते हैं, इसलिए इसके शहरों में आने की गुंजाइश कम ही रहती है. हालांकि, इससे बचाव की कोशिश लगातार करते रहना चाहिए.


चांदीपुरा वायरस से बच्चों को कैसे बचाएं


1. बच्चों को घर के बाहर कम कपड़ों में न रहने दें.
2. बच्चों को मच्छरदानी लगाकर ही सुलाएं.
3. रेत वाली मक्खियों को घर आने से रोकने के उपाय करें.
4. मच्छरों-मक्खियों को रोकने लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करें.
5. अगर कोई लक्षण नजर आए तो तुरंत पास के अस्पताल में जाएं.