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Labor Complications: बच्चा पैदा होने पर किस बात का होता है सबसे बड़ा खतरा?

ड‍िलीवरी से पहले इंफेक्शन, लो ब्लड प्रेशर या ऑर्गन फेल होने से तेज ब्‍लीडिंग का खतरा रहता है. इससे मां और बच्चे दोनों की जान का रिस्क रहता है.

Normal Risks : प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक कई तरह के रिस्क होते हैं. यही कारण है कि हर महिला चाहती है कि सेफ ड‍िलीवरी से ही बच्चे का जन्म हो. कुछ केस में मां और बच्चे की जान भी खतरे में आ जाती है. यही कारण है कि प्रेगनेंसी के दौरान इस तरह की समस्याओं से बचने के लिए अच्छी डाइट, डॉक्टर की सलाह पर एक्सरसाइज और सही रूटीन फॉलो करना चाहिए. आइए जानते हैं बच्चा पैदा होने पर किन बातों का सबसे बड़ा खतरा रहता है...

1. ड‍िलीवरी से पहले बहुत ज्यादा ब्‍लीड‍िंग 
ड‍िलीवरी से पहले इंफेक्शन, लो ब्लड प्रेशर या ऑर्गन फेल होने से तेज ब्‍लीडिंग (Excessive bleeding) का खतरा रहता है. इससे मां और बच्चे दोनों की जान का रिस्क रहता है. लेसेंटा प्र‍िव‍िआ की वजह से भी ड‍िलीवरी से पहले ब्‍लीड‍िंग का खतरा रहता है. कुछ केस में ब्‍लड क्‍लॉट‍िंग ड‍िसऑर्डर, यूट्राइन रैप्‍चर की वजह से भी खून निकल सकता है. यही कारण है कि प्रेगनेंसी के समय डॉक्टर से चेकअप करवाते रहना चाहिए.

2. प्‍लेसेंटा प्रिविआ 
प्‍लेसेंटा का मतलब यूट्रस में बनने वाली संरचना, ज‍िससे गर्भ में बच्चे को खाना और ऑक्‍सीजन म‍िलती है. प्‍लेसेंटा, गर्भनाल से गर्भस्‍थ श‍िशु से जुड़ी रहती है. जब प्‍लेसेंटा मां के गर्भाशय ग्रीवा को कवर कर लेती है तो उसे प्‍लेसेंटा प्रिव‍िआ (Placenta previa) कहा जाता है.

इसकी वजह से डिलीवरी के दौरान ब्लीडिंग हो सकती है. ऐसी महिलाएं जो स्मोकिंग करती हैं, या उनमें कोई बीमारी है तो अल्ट्रासाउंड के जरिए प्‍लेसेंटा प्र‍िव‍िआ का पता लगता है. ज‍िन मह‍िलाओं को जेस्‍टेशनल डायब‍िटीज की समस्या होती है, उनमें इसका खतरा ज्यादा रहता है. डॉक्टर इस कंडीशन में तुरंत सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं.

3. फेटल का हार्ट रेट अनियमित होना
कई बार ड‍िलीवरी से पहले गर्भ में पल रहे बच्चे का हार्ट रेट अनियमित हो जाता है. ये समस्या डिलीवरी के दौरान ही हो ये जरूरी नहीं है. कई बार मां के पोज‍िशन न बदलने की वजह से भी पेट में बच्चे का ब्‍लड फ्लो रुकने का खतरा रहता है. कई बार ये समस्‍या गंभीर होने पर डॉक्टर तुरंत ऑपरेशन कर डिलीवरी कर देते हैं, इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाते रहना चाहिए.

4. मैलपोज‍िशन
 कभी-कभी ड‍िलीवरी से पहले गर्भ में पल रहे बच्चे की पोजिशन बदल जाती है. ऐसे में डॉक्‍टर स‍िजेर‍ियन ड‍िलीवरी कर देते हैं. बच्चे की पोज‍िशन डाउनवर्ड होनी चाह‍िए लेकिन कुछ बच्चों की पोजिशन अलग भी हो सकती है. कुछ केस में पेट में बच्चा गर्भनाल में लि‍पट जाता है या उसकी पोजिशन ऊपर की ओर हो जाती है, जिससे डिलीवरी के वक्त समस्याएं हो सकती हैं. यही कारण है कि डॉक्टर प्रेगनेंसी में एक्टिव रहने की सलाह देते हैं.

5. डिलीवरी के समय यूट्राइन रप्‍चर होना
ड‍िलीवरी के समय होने वाली गंभीर समस्याओं में एक यूट्राइन रप्‍चर (Uterine Rupture) भी है. इसके कुछ केस में गर्भ में पल रहे बच्चे को बचा पाना मुश्किल हो जाता है. इसकी वजह से गर्भाशय छ‍िल जाता है और बच्‍चे पेट में आने का खतरा रहता है. इस कंडीशन में मां को बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होती है. हालांकि, इसके बेहद कम केस आते हैं.

उन महिलाओं को इसका ज्यादा खतरा रहता है, जिन्हें पहले ऑपरेशन या डिलीवरी से गर्भाशय में सर्जरी हुआ हो. यूट्राइन रप्‍चर में वजाइनल ब्‍लीड‍िंग होने से बच्चे की दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है या मां का हार्ट रेट, बीपी अनियंत्रित हो सकता है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

यह भी पढ़ें: Myth Vs Facts: प्रेग्नेंसी में पपीता खाने से गर्भपात हो जाता है, जानें क्या है सही जवाब?

 

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