दिन भर की थकान के बाद हर कोई चाहता है कि उसे रात में अच्छी और सुकून भरी नींद आए. बिना कोई सोच विचार के जब लेटे तो तुरंत सो जांए. लेकिन ऐसा सबके साथ नहीं होता है. कई लोग घंटो कोशिशों के बाद भी या तो लेट से सोते हैं या तो सो ही नहीं पाते हैं. इसके चलते शरीर में नींद पूरी ना होने की वजह से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है जैसे की आंखों के नीचे डार्क सर्कल्स या सुबह बिना एनर्जी के साथ उठना. इस नींद ना आने की बिमारी को इंसोमनिया कहते हैं. इंसोमनिया की वजह विटामिन की कमी हो सकती है जो बॉडी सिस्टम में गड़बड़ी कर सकता है और माइंड को रीलैक्स मोड में नहीं रहने देता है. कौन से विटामिन की कमी से नींद नहीं आती है और अपनी डाइट में आप क्या शामिल कर सकते हैं उसके बारे में जानते हैं.


इस विटामिन की कमी से नींद नहीं आती है


विटामिन डी की कमी शारीरिक और मांसिक थकावट का कारण बन सकती है. विटामिन डी का लो लेवल इंसोमनिया या स्लीप पैटर्न को बिगाड़ने की वजह बन सकती है. विटामिन डी को प्राप्त करने का सबसे अच्छा स्त्रोत सुबह और शाम की धूप को माना गया है. लेकिन हेल्थलाइन के मुताबिक विटामिन डी से भरपूर भोजन यानी कि सैल्मन मछली, कोड लिवर ऑयल, अंडे का पीला भाग, मशरूम, गाय का दूध, सोया मिल्क, संतरे का जूस, ओटमील खाने से विटामिन डी की कमी पूरी करके मीठी और गहरी नींद पा सकेंगे.


विटामिन बी6 से भी हो सकती है इंसोमनिया की दिक्कत


दिमाग में मेलाटोनिन और सेरोटोनिन का पर्याप्त लेवल गहरी नींद पाने और फ्रेश फील करने के लिए बहुत जरूरी है. विटामिन बी6 के कमी के कारण दोनों हॉर्मोन कम या तो बिलकुल ही नहीं बनता जिसकी वजह से इंसोमनिया की बीमारी हो सकती है. विटामन बी6 की समस्या को दूर करने के लिए चिकन का सेवन, मूंगफली का सेवन, सोयाबीन, ओट्स का सेवन, नियमित केला खाना और दूध लें. 


इंसोमनिया के लक्षण


• दिन में नींद आना
• क्रोध
• थकान
• फोकस करने में असुविधा


इंसोमनिया के प्रकार 


इंसोमनिया के दो प्रकार होते हैं पहला प्राइमरी इंसोमनिया दूसरा सेकेंडरी इंसोमनिया. प्राइमरी इंसोमनिया में नींद ना आने की समस्या किसी शारीरिक बीमारी से नहीं जुड़ा होता बल्कि सेकेंडरी इंसोमनिया में नींद ना आने की वजह हेल्थ से रिलेटड हो सकती है, जैसे अस्थमा, केंसर, डिप्रेशन और अर्थराइटिस.


प्राइमरी इंसोमनिया के कारण


• जॉब छोड़ना, अपने किसी खास की डेथ होना या डाइवोर्स का स्ट्रेस लेना.
• आसपास का शोर, तापमान और रोशनी इसका एक कारण हो सकता है.
• दिनचर्या में बदलाव होने से नींद डिस्टर्ब हो सकती है.
• एक रिसर्च में इंसोमनिया को जेनेटिक प्रॉबल्म बताया गया है. 


सेकेंडरी इंसोमनिया के कारण


• डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसी मेंटल हेल्थ की समस्या.
• रात में दर्द और असहजता होना.
• ऐलर्जी, डिप्रेशन, सर्दी, हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा के मेडिकेशन पर होना.
• प्रेगनेंसी
• गुटका, शराब, कैफीन का ज्यादा इस्केमाल करना.


इंसोमनिया रिस्क फैक्टर


इंसोमनिया, पुरुष के मुकाबले औरतों को और यंग जनरेशन के मुकाबले ओल्ड जनरेशन को ज्यादा इफेक्ट करता है. मिडिल ऐज के लोगों पर भी रिस्क फैक्टर का खतरा बना हुआ है. रिस्क फैक्टर लंबे समय तक बीमार रहना, मेंटल हेल्थ की समस्या होना और काम की शिफ्ट बदलने पर हो सकता है.


कैसे ठीक करे इंसोमनिया?


एक्यूट इंसोमनिया को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं है. अगर दिन भर के काम करने में आलस या थकान हो रही है तो डॉक्टर आपको स्लीपिंग पिल्स कुछ दिन खाने का सुझाव दे सकते हैं. लेकिन इंसोमनिया से बचने के लिए स्लीपिंग पिल्स का ओवरडोस़ ना करे इसका साईड इफेक्ट हो सकता है और ये समस्या सही करने के बजाए गड़बड़ भी कर सकती है. मगर क्रोनिक इंसोमनिया में आपकोअपनी प्रॉब्लम सही करने के लिए ट्रीटमेंट की जरूरत है. डॉक्टर आपको सही सुझाव देके नींद ना आने की समस्या को दूर कर सकता है.


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