Dengue Mosquito : बरसात की शुरुआत होते ही डेंगू का खतरा भी बढ़ गया है. जुलाई से अक्टूबर तक मानसून के दौरान मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल कंडीशन होती है. ऐसे में कुछ महीने अलर्ट रहने की जरूरत है. डेंगू के मच्छर आम मच्छरों से काफी अलग होते हैं. इसके काटते ही तुरंत लक्षण नहीं दिखते हैं. कुछ दिनों बाद इसका प्रभाव दिखता है. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि डेंगू के मच्छर आखिर अलग कैसे होते हैं, इनकी पहचान कैसे कर सकते हैं.

 

डेंगू के मच्छर इस तरह देते हैं अंडे

डेंगू के मच्छर इंसानों को काटने के 3 दिन बाद अंडे देता है. बारिश में जब अंडे पानी से भर जाते हैं, तो इनमें से लार्वा बाहर आने लगता है. ये लार्वा पानी से भरे कंटेनर्स में शैवाल, छोटे जलीय जीव, पौधों के कणों को खाकर जीते हैं. 7 से 8 दिनों में अंडे से मच्छर बन जाते हैं. जिसका जीवनकाल करीब 3 हफ्ते का होता है. ये मच्छर गर्मियों में जिंदा रह सकते हैं लेकिन सर्दी के मौसम में जिंदा नहीं रह पाते हैं.

 

डेंगू का मच्छर कैसा होता है

डेंगू फीवर एडीज मच्छरों काटने से होता है, जो मादा मच्छर है, जो आस-पास जमा पानी और पौधों में अंडे देती हैं. ये इंसानों ही नहीं जानवरों को भी अपना शिकार बना सकती हैं. डेंगू के मच्छर छोटे, गहरे रंग के होते हैं, जिसके पैर बंधे हैं. यही कारण है कि ये मादा मच्छर ज्यादा ऊंचाई पर नहीं उड़ पाते हैं और दूसरे मच्छरों से छोटे होते हैं. ये मच्छर आमतौर पर घर के अंदर ही काटता है और दिन में पानी में अंडे देता है.

 

डेंगू मच्छर दिन में कब काटते हैं

एडीज इजिप्टी मच्छर दिन में ही काटते हैं. सूर्योदय से दो घंटे बाद और सूर्यास्त से कई घंटे पहले ये सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं लेकिन रात में भी ये काट सकते हैं. चूंकि ये मच्छर ज्यादा नहीं उड़ पाते हैं, इसलिए ये टखनों और कोहनी पर काटते हैं.

 

डेंगू मच्छरों से कैसे बचें

पानी से भरी चीजों को साफ करें.

पानी वाले बर्तनों को हफ्ते में साफ करते रहें.

पेड़-पौधों में छेद और अन्य गुहाओं को मिट्टी से भर दें.

लंबी बाजू की शर्ट, लंबी पैंट, जूते-मोजे पहनकर शरीर ढकें.

खुली जगह 10% डीईईटी के साथ मच्छरों से बचने वाले क्रीम लगाएं.

बच्चों को डेंगू से बचाने के लिए मच्छरदानी का इस्तेमाल करें.

दिन में दरवाजे-खिड़कियां बंद करके रखें.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.