Dehydration : बदन जलाने वाली धूप और गर्म हवाओं ने मुसीबतें बढ़ा दी हैं. कई राज्यों में हीट वेव यानी लू का अलर्ट जारी किया गया है. हीट वेव के चलते शरीर की एनर्जी कम होने लगती है. लगातार पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है, जिसे डिहाइड्रेशन कहते हैं. इसकी वजह से गला और मुंह सूखने लगता है, आंखों में सूखापन आने लगता है, थकान या चक्कर महसूस होता है.


डिहाइड्रेशन शरीर को धीरे-धीरे नुक़सान पहुंचाने का काम करता है. इसका दिमाग पर भी असर पड़ता है. गर्मी के मौसम में हीट डिहाइड्रेशन का भी जोखिम बढ़ जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं डिहाइड्रेशन और हीट डिहाइड्रेशन में कौन ज्यादा खतरनाक है...


डिहाइड्रेशन क्या होता है
भरपूर मात्रा में पानी न पीने से डिहाइड्रेशन की समस्या हो सकती है. यह किसी भी मौसम में हो सकता है लेकिन गर्मियों में इसका खतरा ज्यादा रहता है. शरीर में पानी की कमी को पूरी कर इस समस्या से बचा जा सकता है. इससे किडनी से लेकर दिमाग तक की सेहत प्रभावित हो सकती है. 


हीट डिहाइड्रेशन क्या है
हीट डिहाइड्रेशन हीट वेव और चिलचिलाती धूप की वजह से होती है. दरअसल, एक हेल्दी बॉडी का नॉर्मल टेंपरेचर 37 डिग्री सेल्सियस होता है. शरीर सही तरह से काम करता रहे, इसके लिए इस तापमान को मेंटेन करना होता है लेकिन गर्मियों में जब लू चलती हैं तो आसपास का वातावरण गर्म हो जाता है. इससे बॉडी टेंपरेचर को मेंटेन करने के लिए शरीर से पसीना निकलने लगता है.


इससे ब्लड सर्कुलेशन भी तेज हो जाती है. बाहर का तापमान बहुत ज्यादा बढ़ने पर शरीर के अंदर मौजूद फ्लुइड टेंपरेचर मेंटेन रखने के लिए पर्याप्त नहीं होते. इसकी वजह से ज्यादा पसीना निकलता है और शरीर में नमक-पानी का बैलेंस बिगड़ने लगता है, जिससे हीट डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है.


डिहाइड्रेशन से होने वाले नुकसान
बहुत ज्यादा प्यास लगना
गहरे रंग और बदबूदार यूरीन
सामान्य से कम या बहुत ज्यादा यूरीन आना
 सिरदर्द, चक्कर, जी घबराने की समस्
आसपास की चीजों को देख और समझ पाने में दिक्कत होना
किडनी को नुकसान
किडनी स्टोन का खतरा


डिहाइड्रेशन का दिमाग पर भी असर
हमारे ब्रेन का 70-75% पानी होता है. यही कारण है कि डिहाइड्रेशन का असर दिमाग पर भी पड़ता है. इससे सिरदर्द की समस्या हो सकती है, मूड खराब हो सकता है. इसके अलावा चिड़चिड़ापन, किसी चीज पर फोकस न कर पाना, शरीर-दिमाग का बैलेंस न बनने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ कनेक्टिकट की एक स्टडी में बताया गया है कि शरीर जब सामान्य पानी मात्रा से 1.5 फीसदी भी नीचे आते है तो बहुत ज्यादा चिंता, थकान और चिड़चिड़ापन होने लगता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 


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