Health Tips: मीठा खाना किसे पसंद नहीं होता. भले ही कोई कम खाए या कोई ज़्यादा खाए लेकिन मीठे की चाहत हर किसी को होती है. यहाँ तक कि खाने के बाद मीठा खाना तो मानों सदियों से चली आ रही भारतीय परंपरा को दर्शाता है. अन्य देशों में शायद मीठे का उतना चलन नहीं, लेकिन भारत में मीठा बनाने या खाने के लिए किसी त्यौहार की ज़रुरत नहीं. सीधे सीधे अगर हम कहें तो, मीठे और भारत के लोगों के बीच में गहरा संबंध है. ऐसा ही एक संबंध है मीठे और आपके दिमाग के बीच. बस अंतर ये है कि मीठे से लोगों का संबंध मधुर है लेकिन मीठे से आपके दिमाग का संबंध बेहद ही खतरनाक है. हाल में आई एक स्टडी की मानें तो, भोजन आपके शरीर में कुछ भावनाओं को ट्रिगर करता है, जिसमें ज़्यादा मीठा खाना अवसाद की भावनाओं को बढ़ाता है. ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री (The British Journal of Psychiatry) द्वारा किए गए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग ज़्यादा प्रोसेसड कार्ब्स या मीठे का सेवन करते हैं, उनमें पांच साल की अवधि में डिप्रेशन का विकास हो सकता है. तो आइए जानते हैं इस स्टडी के बारे में विस्तार से.
डिप्रेशन को बढ़ाने में सहायक है शुगर
चीनी दो प्रकार की होती है- पहला सिंपल शुगर, जो कि सब्जियों, फलों और नट्स में पाई जाती है. दूसरा प्रोसेस्ड शुगर, जो कि हाई कैलोरी वाली होती है. यह चॉकलेट, ड्रिंक्स और काफी सारी चीजों में पाई जाती है. सिंपल शुगर अन्य खनिजों, विटामिन और फाइबर के पूरक होती है इसलिए शरीर इसे अवशोषित करने में समय लेता है. आपके शरीर में प्रवेश करने के बाद शुगर कार्बोहाइड्रेट को ग्लूकोज में तोड़ देती है, जो बाद में कोशिकाओं को ऊर्जा देने का काम करती है. लेकिन बहुत अधिक ऊर्जा आपको धीरे धीरे मीठे की लत की ओर ले जा सकती है क्योंकि जब आप कम मीठा खाएंगे तो आपको कमज़ोरी महसूस होगी जिससे आपके अंदर मीठे की क्रेविंग पैदा होगी.
डोपामाइन बढ़ाता है शुगर
जब आप चीनी का सेवन करते हैं, तो आपके मस्तिष्क में डोपामाइन का लेवल बढ़ने लगता है. जिससे कि मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और अवसाद महसूस होता है. वहीं जब आप बड़ी मात्रा में मीठी चीज़ों का सेवन करते हैं, तो आपका शरीर कुछ निश्चित रासायनिक परिवर्तन करना शुरू कर देता है, जिससे शुगर खाने की क्रेविंग और तेज़ी से बढ़ जाती है. अगर उस दौरान आप मीठा नहीं खा पाते हैं तो आप कर्कश, चिड़चिड़े, चिंतित, गंभीर और हर समय उदास महसूस करते हैं. वहीं साइंस रिपोर्ट्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, चीनी के सेवन से महिलाओं में सामान्य मानसिक विकार और तनाव होने की संभावना अधिक होती है.
सूजन और तनाव का कारण चीनी
खाने का हमारे मूड और भावनाओं पर बहुत प्रभाव पड़ता है. चीनी मूड में गड़बड़ी और तनाव को ट्रिगर करने के जोखिम को बढ़ा सकती, जो कि शरीर में सूजन को बढ़ाता है. जिसका डिप्रेशन के साथ बहुत बड़ा संबंध है. वहीं ये भूख में कमी, नींद के पैटर्न में बदलावों को भी पैदा करता है, जो कि तनाव बढ़ाने वाले बड़े कारक भी हैं.
ऐसे में अवसाद से निपटने के लिए अपने इंसुलिन के स्तर को सही रखना बेहद ज़रूरी है. दरअसल आपके शरीर में इंसुलिन के उतार-चढ़ाव, मेटाबोलिज्म में गड़बड़ी पैदा कर सकता है, जो कि वजन बढ़ा सकता है और कई बीमारियों का शिकार बना सकता है. वहीं कुछ नहीं तो ये आपको स्ट्रैस बढ़ाएगा और आपको मानसिक रूप से परेशान करना शुरू करेगा. इसलिए खाने में चीनी की मात्रा कम करें, साथ में ज़्यादा से ज्यादा प्रोसेसड फूड्स को खाने से बचें.
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