Spinal Cord Injury Therapy :  स्पाइनल कॉर्ड, रीढ़ की हड्डी से घिरी होती है. इसका काम दिमाग में पैदा होने वाले सिग्नल को शरीर के बाकी हिस्सों तक ले जाना है. यह काफी नाजुक अंग होता है. इसलिए इसे नुकसान पहुंचने का खतरा भी ज्यादा रहता है. स्पाइनल कॉर्ड में चोट लगने से जिंदगी तक तबाह हो सकती है.


इसकी वजह से रीढ़ की हड्डियां टूट या अपनी जगह से खिसक जाती हैं. इसकी वजह से हाथ या पैर में कमजोरी, सुन्नपन आना, सांस लेने में कठिनाई, मल मूत्र कंट्रोल में दिक्कत आती है. इस तरह की चोट कई बार ऑपरेशन से ठीक हो जाता है लेकिन कभी-कभी लंबे समय तब इलाज के बाद भी पूरी तरह ठीक नहीं हो पाता है, जिससे लाइफ में कई तरह की परेशानियां आती हैं. हालांकि, एक नई थेरेपी से स्पाइनल कॉर्ड में चोट से जल्दी और आसानी से राहत मिल सकती है, आइए जानते हैं इस थेरेपी के बारें में...


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स्पाइनल कॉर्ड में चोट से बचने की नई थेरेपी




मेडिकल सेक्टर में नए रिसर्च ने रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) के घायल मरीजों के लिए नई आशा की किरण जगाई है. एक नए इलेक्ट्रोड थेरेपी (Electrode Therapy) के विकास ने इन मरीजों को उन्हें पहले की तरह चलने और जिंदगी जीने में मदद करने का वादा किया है.




इलेक्ट्रोड थेरेपी क्या है




इस नई थेरेपी में एक खास इलेक्ट्रोड का इस्तेमाल किया जाता है, जो रीढ़ की हड्डी के चोट लगने वाले हिस्से में इलेक्ट्रिकल सिग्नल भेजता है. यह सिग्नल ब्रेन को मैजेस भेजने में मदद करता है, जिससे मांसपेशियों को एक्टिव किया जा सकता है. अमेरिका के स्क्रिप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने इस थेरेपी को बनाया है. उन्होंने बताया कि यह थेरेपी स्पाइनल कॉर्ड के घायल मरीजों के लिए काफी कारगर है और उन्हें पहले जैसी जिंदगी दे सकती है.


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कितनी फायदेमंद इलेक्ट्रोड थेरेपी




इस थेरेपी के ट्रॉयल में शामिल मरीजों ने बताया कि थेरेपी के बाद उन्हें अपने शरीर के अंगों पर ज्यादा कंट्रोल मिला है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह थेरेपी रीढ़ की हड्डी में चोट से जूझ रहे मरीजों के लिए एक नई उम्मीद है. इसकी मदद से वे अपनी जिंदगी को फिर से नॉर्मल बना सकते हैं. इससे जल्द ही चोट से उबरने में मदद मिल सकती है.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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