Fatty Liver in India : फैटी लिवर एक बेहद ही खतरनाक बीमारी है. इसकी वजह से कई खतरनाक बीमारियां हो सकती हैं. भारत में यह बीमारी तेजी से फैल रही है. हर तीसरे भारतीय को फैटी लिवर की बीमारी है. हाल ही एक सम्मेलन में केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह बात कही है.


एक्सपर्ट्स का कहना है कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर बीमारी एक आम मेटाबॉलिक लीवर डिसऑर्डर है, जो बाद में सिरोसिस और प्राइमरी लिवर कैंसर का रूप भी ले सकता है. ज्यादातर लोगों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज और अन्य कई बीमारियों से पहले फैटी लिवर की समस्या देखी जाती है.


फैटी लिवर क्या है
लिवर शरीर में प्रोटीन, लिपिड और बिलीरुबीन को कंट्रोल करने का काम करता है. खाने में वसा और कैलोरी ज्यादा लेने और फिजिकल एक्टिविटीज कम होने से लिवर में फैट जमा होने लगता है, जिसे फैटी लिवर कहते हैं. शराब पीने वालों में यह समस्या ज्यादा होती है लेकिन शराब न पीने वाले ज्यादा वजन और BMI वालों में लिवर की यह समस्या देखी गई है.


फैटी लिवर बढ़ने का कारण
डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि भारत और यूरोप की लाइफस्टाइल और डाइट में काफी बदलाव आ गया है, जिसकी वजह से डायबिटीज और मोटापे जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम बढ़ रहे हैं. इसकी वजह से ही नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के केस में भी बढ़ोतरी हो रही है. 


वजन कम वालों को ज्यादा खतरा
डॉ. जितेंद्र ने बताया कि नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज और अल्कोहलिक लिवर डिजीज, दोनों ही स्टेटोसिस से लेकर स्टेटोहेपेटाइटिस सिरोसिस और HCC तक समान असर ही दिखाते हैं.


उन्होंने बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में यह बीमारी करीब 20% ऐसे लोगों में है, जिनका वजन शरीर के हिसाब से काफी कम है, जबकि पश्चिमी देशों में नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज के ज्यादातर मामले मोटापे से जुड़े हैं. बता दें कि हाल ही में देश की राजधानी नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलियरी साइंसेज में मेटाबॉलिक लिवर रोगों से बचाव और उसकी रोकथाम के लिए एक वर्चुअल नोड शुरू किया गया है. जिसमें फ्रांस के 11 और भारत के  17 डॉक्टर मिलकर काम करेंगे.


फैटी लिवर से बचने के उपाय
खानपान में वसा और कार्बोहाइड्रेट कम करें.
फिजिकल एक्टिविटी बढ़ाएं.
लिवर का फैट कम करने के लिए डॉक्टर से बात करें.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.