Heart Attack in Pregnancy : 35 साल की मलयालम एक्ट्रेस डॉ. प्रिया की हाल ही में हार्ट अटैक से मौत हो गई है. खबर है कि एक्ट्रेस 8 महीने की प्रेग्नेंट थीं. हार्ट अटैक (Heart Attack) आने से कुछ दिन पहले ही उन्होंने नियमित प्रेगनेंसी टेस्ट भी करवाए थे. कम उम्र में दिल का दौरा पड़ने की यह कोई पहला केस नहीं है. आजकल हार्ट अटैक तेजी से कम उम्र वालों को अपना शिकार बढ़ा रहा है. एक्सपर्ट्स की चिंता अब प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक (Heart Attack in Pregnancy) को लेकर बढ़ गई है. आइए एक्सपर्ट्स के जानते हैं प्रेगनेंसी के दौरान हार्ट अटैक का रिस्क कितना रहता है और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए...
प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक का खतरा क्यों
मलयालम एक्ट्रेस को किसी तरह की शारीरिक समस्या नहीं थीं. वह 8 महीने से प्रेगनेंट थीं. एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक कॉमन है. डिलीवरी के 6 हफ्ते तक महिलाओं की मौत का 25 केस हार्ट अटैक का ही होता है. दिल की बीमारियां और प्रेगनेंसी के लक्षण ओवरलैप हो जाते हैं, जिसकी वजह से इसे ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाता है. सबसे कॉमन लक्षण की बात करें तो चेस्ट में दर्द की शिकायत है. आमतौर पर सीने के इस दर्द को प्रेगनेंसी में होने वाली ब्लोटिंग या इनडायजेशन का दर्द समझा जाता है, इसलिए सही समय पर इलाज नहीं मिल पाता है.
प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक का कारण
प्रेगनेंसी में हीमोग्लोबिन कम होने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ सकता है. अगर किसी महिला की फैमिली में पहले से ही किसी को हार्ट डिजीज है या उन्हें प्रीवियस प्रेगनेंसी में क्लोट्स की प्रॉब्लम रही है तो अलर्ट हो जाना चाहिए. कोई दवा खाने, किडनी और थाइरॉयड की समस्या रहने पर भी कभी-कभी सीने में दर्द होता है, इसे इग्नोर नहीं करना चाहिए. क्योंकि यह हार्ट अटैक के जोखिम को कई गुना तक बढ़ा सकता है. गर्भावस्था में भ्रूण के विकास के लिए शरीर में ब्लड बढ़ जाता है. एक्स्ट्रा ब्लड को सही तरह पंप करने के लिए हार्ट बीट बढ़ जाती है. इससे अतिरिक्त तनाव बढ़ता है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. प्रेगनेंसी से जुड़े 75% से ज्यादा हार्ट अटैक 30 साल या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं को होते हैं.
प्रेगनेंसी में हार्ट अटैक के इन लक्षणों को न करें इग्नोर
1. प्रेगनेंसी में बहुत ज्यादा घबराहट, बदन में सूजन होना है.
2. चेस्ट में दर्द, चक्कर आना या बेहोश हो जाना.
3. थकान, तेज हार्ट बीट (प्रति मिनट 100 से ज्यादा)
4. रात में बार-बार यूरीन आना.
5. लगातार खांसी आना, सांस लेने में तकलीफ होना.
6. पैरों, हाथों, टखनों और कंधों में ज्यादा सूजन
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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