Pregnancy Tips: हर प्रेग्नेंट महिला चाहती हैं कि उसका बच्चा स्वस्थ (Child Health) और बीमारियों से बचा रहे, इसके लिए पैदा होने से पहले ही कई सारे टेस्ट किए जाते हैं. लेकिन अक्सर महिलाओं का या पेरेंट्स का सवाल रहता है कि क्या बच्चों को ऑटिज्म (autism) से बचाया जा सकता है या इसके बारे में क्या प्रेगनेंसी के दौरान ही पता लगाया जा सकता है? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि प्रेगनेंसी के दौरान ऑटिज्म (how to identify autism in pregnancy) का पता किस तरह से लगाया जा सकता है और कैसे आप अपने बच्चों को इस स्थिति से बचा सकते हैं या इसके प्रभाव को कम कर सकते हैं. 




क्या होता है ऑटिज्म 




ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर ग्रुप का एक हिस्सा होता है, जिसमें बच्चों के मस्तिष्क का विकास ठीक तरीके से नहीं हो पाता है. इससे बच्चों को बड़े होने पर सामान्य काम करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ता है और उनका दिमाग नॉर्मल बच्चों से कम डिवलेप होता है. यह एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसके प्रमुख लक्षणों में सोशल कम्युनिकेशन में कमी, बातचीत करने में असमर्थ होना, आई कॉन्टेक्ट ना बना पाना और एक ही चीज को बार-बार दोहराने जैसे लक्षण शामिल होते हैं, जो बच्चों के बड़े होने पर सामने आते हैं. 


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क्या प्रेगनेंसी में पता लगाया जा सकता है ऑटिज्म




अगर आप अपने गर्भ में पल रहे बच्चे में ऑटिज्म का पता लगाना चाहते हैं, तो इसके लिए प्रीनेटल एमआरआई स्कैन किया जाता है. इसके अलावा डबल मार्कर और ट्रिपल मार्कर जैसे टेस्ट के जरिए भी ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के शुरुआती लक्षणों की पहचान की जा सकती है. यह टेस्ट यह बताते हैं कि बच्चा ऑटिज्म से सुरक्षित है या नहीं. 


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इस तरह कंट्रोल किया जा सकता है ऑटिज्म 




अगर प्रेगनेंसी की शुरुआती स्टेज पर ही बच्चों में ऑटिज्म की पुष्टि हो जाती है, तो डॉक्टर इसे अबॉर्ट करने की सलाह दे सकते हैं. इसके अलावा शुरुआती स्टेज में इसका पता चलने पर इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है. बच्चा होने पर थेरेपी, सोशल एजुकेशन, फैमिली एजुकेशन और अपने आसपास के वातावरण को पॉजिटिव बनने से भी बच्चे को ऑटिज्म से बचाया जा सकता है या इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है.



Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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