शरीर के अंदर कैसे पनपने लगता है कैंसर? डॉक्टरों ने खोज निकाली इसकी वजह
कैंसर कहां हुआ है और कितना बढ़ चुका है, इस आधार पर चार स्टेज में बांटा गया है. इलाज भी स्टेज के अनुसार ही किए जाते हैं. इस बीमारी का पता जितनी जल्दी चलता है, बचने के चांसेस भी उतनी ही ज्यादा होती है.
Cancer : कैंसर एक खौफनाक और जानलेवा बीमारी है. अगर समय पर इसकी पहचान कर ली जाए तो बचने के संभावनाएं होती हैं लेकिन अगर ऐसा नहीं होता है तो यह तिल-तिल कर इंसान को मौत दे देता है. अगर कोई मरीज कैंसर की लास्ट स्टेज में पहुंच जाए तो स्थिति इतनी बिगड़ जाती है कि मौत तय तक मानली जाती है. इस बीमारी में कोई इंसान आर्थिक ही नहीं मानसिक तौर पर भी पूरी तरह टूट जाता है.
आजकल कैंसर के बारें में काफी अवेयरनेस फैल रही है. जिसकी वजह से लोग समय पर चेकअप और टेस्ट के लिए आ रहे हैं. इस बीमारी की जानकारी भी काफी बढ़ रही है. हालांकि, अभी भी ज्यादातर लोगों को पता नहीं कि शरीर के अंदर कैंसर (Cancer) कैसे पनपने लगता है. आइए जानते हैं...
कैंसर कब होता है
यह बीमारी कोशिकाओं (Cells) के असामान्य तरीके से ग्रोथ करने से होता है. दरअसल, हमारे शरीर के अंदर कोशिकाएं एक नियंत्रित तरीके से बढ़ती हैं और एक समय बाद अपने आप ही नष्ट भी हो जाती हैं. इनकी जगह नई और हेल्दी कोशिकाएं आ जाती हैं. लेकिन कैंसर होने पर कोशिकाओं की ये क्षमता खत्म हो जाती है और वे अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं.
कैंसर कितना खतरनाक है
कैंसर कहां हुआ है और कितना बढ़ चुका है, इस आधार पर चार स्टेज में बांटा गया है. इलाज भी स्टेज के अनुसार ही किए जाते हैं. इस बीमारी का पता जितनी जल्दी चलता है, बचने के चांसेस भी उतनी ही ज्यादा होती है. इसमें इलाज में खर्च भीकम होता है. रेगुलर तौर पर स्क्रीनिंग करवाकर कैंसर की पहचान की जा सकती है.
शरीर में कैंसर कैसे पनपता है
पहला चरण
कैंसर की शुरुआत जीनेटिक परिवर्तन से होती है, जिसमें DNA में बदलाव होता है. यह बदलाव फैमिली हिस्ट्री या जेनेटिक भी हो सकती है. कई बार एनवायरमेंटल फैक्टर्स भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं. इसमें धूम्रपान, अल्कोहल या रेडिएशन हो सकते हैं.
दूसरा चरण
जब जीनेटिक परिवर्तन होता है, तो कोशिकाएं असामान्य रूप से विकसित होने लगती हैं. ये कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं और अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं.
तीसरा चरण
जब असामान्य कोशिकाएं इकट्ठा हो जाती हैं, तो एक ट्यूमर बनाती हैं. ट्यूमर दो तरह के होते हैं. बेनाइन यानी नॉन-कैंसरस और मैलिग्नेंट यानी कैंसरस.
चौथा चरण
जब कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर से फैलने लगती हैं, तो वे ब्लड फ्लो या लसीका सिस्टम के माध्यम से शरीर के दूसरे हिस्सों में पहुंच जाती हैं. इस प्रक्रिया को मेटास्टेसिस कहते हैं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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