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क्या सच में है हार्ट अटैक और वैक्सीन का लिंक? ICMR रिपोर्ट खोलेगी राज
क्या कोविड वैक्सीन और हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं में कोई कनेक्शन है.इसको लेकर ICMR एक स्टडी कर रहा है.जुलाई की शुरुआत में इसकी रिपोर्ट सार्वजनिक भी की जा सकती है.आइए जानते हैं क्या कहते हैं एक्सपर्ट.
Vaccine and Heart Attack : क्या जो वैक्सनी कोरोना वायरस को रोकने के लिए तैयार की गई थी, उससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा है. यह सवाल इसलिए क्योंकि इस वक्त सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात को लेकर चल रही है. इसी तरह के सवालों का जवाब ICMR भी ढूंढ रहा है. इन दिनों ICMR एक स्टडी कर रहा है, जिसकी रिपोर्ट जुलाई की शुरुआत में आ सकती है. अपने इस अध्ययन में ICMR देश की युवा आबादी में कोविड-19 वैक्सीन और बढ़ते हार्ट अटैक के बीच के कनेक्शन को समझने की कोशिश कर रहा है. जब आंकड़ें पूरी तरह कंफर्म हो जाएंगे, तो इस रिपोर्ट को पब्लिश कर दिया जाएगा.
किन सवालों की तलाश कर रहा ICMR
1. क्या लोगों की मौत वैक्सीनेशन के बाद नेचुरल वजहों से हुई है?
2. क्या कोविड वैक्सीन मौत का कारण बनी थी?
3. क्या जिन मरीजों की जान गई उनमें कोविड गंभीर स्टेज पर था या लंबे समय से वे उसकी चपेट में तो नहीं थे?
कहां से आंकड़े जुटा रहा ICMR
इस स्टडी के सैंपल साइज में ICMR ने 40 अस्पतालों को शामिल किया है. क्लीनिकल रजिस्ट्रेशन की जानकारी ली गई है. कई मरीजों का डेटा AIIMS से भी लिया है. जानकारी मिल रही है कि 14,000 सैंपल साइज में 600 मौतों की जानकारी मिली थी. बता दें कि मार्च में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने भी एक समिट में माना था कि कोरोना के बाद दिल के दौरे के मामले बढ़े हैं. तभी उन्होंने बताया था कि इस पर चर्चा हुई है और ICMR इसको लेकर अध्ययन भी कर रहा है.
ICMR की रिपोर्ट में कितना समय लग सकता है
तब स्वास्थ्य मंत्री ने बताया था कि वैक्सीनेशन के आंकड़े हैं. 3-4 महीने से कुछ सवालों की खोज की जा रही है. वैसे तो रिपोर्ट 6 महीने में ही आनी थी लेकिन अब कहा जा रहा है कि जुलाई में यह रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी जाएगी. हेल्थ मिनिस्टर मांडविया ने कहा था कि हार्ट अटैक से होने वाली मौतों के आंकड़ों की समीक्षा AIIMS दिल्ली भी कर रहा है. केंद्रीय मंत्री ने बताया था कि कोविड के समय भारत की स्थिति काफी परेशान करने वाली थी. तब ग्लोबल लेवल पर वैक्सीन कैंपेन और कोरोना को लेकर भारत ने जो कदम उठाए, उसकी दुनियाभर में तारीफ हुई.
युवाओं में बढ़े हार्ट अटैक के मामले
इंडियन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, पिछले सालों में 50 साल से कम उम्र वाले 50 प्रतिशत और 40 साल से कम उम्र के 25 प्रतिशत लोगों में हार्ट अटैक का खतरा देखने को मिला है. इसका मतलब साफ है कि युवाओं में हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ा है. महिलाओं से ज्यादा पुरुष हार्ट डिजीज की ज्यादा चपेट में आ रहे हैं. इसके लिए ब्लड प्रेशर, शुगर, तनाव, मोटापा और गड़बड़ लाइफस्टाइल भी कारण है. कई एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि कोविड इंफेक्शन के बाद शरीर में ब्लड क्लॉट तेजी से बढ़ रहा है और इस पर स्टडी भी जारी है कि क्या दिल की बढ़ती बीमारियों के पीछे कहीं कोरोना ही कारण तो नहीं.
कनेक्शन तो नहीं है.
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