अपंग बनाने वाली दाल के बारे में क्या आपने सुना है? पौष्टिक आहार में दाल का सेवन भी शामिल होता है. एक कप दाल खाने से 18 ग्राम प्रोटीन मिलती है. स्वास्थ्य के अन्य फायदों समेत दिल की सेहत के लिए भी दाल का सेवन मुफीद माना जाता है. हर रोज एक कप दाल खाने से शरीर को जरूरी आयरन की मात्रा मिल जाती है. दालों में आयरन, मैग्नीशियम और जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है. मगर एक ऐसी भी दाल है जो शरीर के लिए नुकसान का कारण बनती है.


क्या खेसारी की दाल बनाती है अपंग?


खेसारी की दाल शरीर के लिए बहुत हानिकारक होती है. ये दाल पांव और तंत्रिका तंत्र को सुन्न कर देती है. मिलावटखोर अरहर या तुअर की दाल में मिलाकर बेचते हैं. बनावट में तुअर जैसा होने के चलते खेसारी की दाल मिलावटखोरों की पसंदीदा दाल है. खेसारी दाल की बाजार में कीमत सामान्य दालों के मुकाबले आधी होती है. दाम में सस्ती होने की वजह से खेसारी दाल को गरीबों की 'थाली' भी कहा जाता है. मगर इसके साइड इफेक्ट को देखते हुए भारत सरकार ने 1961 में पाबंदी लगा दी थी. उस समय कहा गया था कि इसके सेवन से न्यूरोलॉजिकल विकार यानी लैथरिज्म नामक रोग होता है.


1961 में भारत सरकार ने लगाया था बैन


इसकी वजह से शरीर के निचले हिस्‍से में अपंगता फैल जाती है. दाल में मौजूद डी-अमीनो-प्रो-पियोनिक एसिड शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालता है. विशेषज्ञों का मानना है कि दाल का सेवन पशुओं तक को भी नुकसान पहुंचाता है. हालांकि कुछ साल पहले काशी हिन्दू विश्विद्यालय की तरफ से कराए गए सर्वे में बिल्कुल विपरीत बात सामने आई थी. जर्नल ऑफ न्‍यूरोसाइंस इन रूरल प्रैक्टिस में प्रकाशित सर्वे रिपोर्ट में लंबे समय तक दाल के सेवन से लकवा या अपंगता जैसी बीमारी का खंडन किया गया था. न्‍यूरोलॉजिस्‍ट विजय नाथ मिश्र ने शोध के हवाले से दावा किया था कि खेसरी दाल स्‍वास्‍थ्‍य के लिए हानिकारक नहीं बल्कि फायदेमंद है.


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