Health Tips: गरमा गर्म कचोड़ी और समोसे, लज़ीज़ छोले भठूरे और कुल्चे, टेस्टी नूडल्स, मोमोस, बर्गर, पिज़्ज़ा और न जाने कितनी खाने की चीज़ें जो बनती हैं मैदा से. इन सबको पढ़ कर और सोच कर आ गया न आपके मुंह में पानी, कुछ को तो जुबान पर स्वाद भी महसूस होने लगा होगा. पर क्या आप जितना मैदे से बनी चीज़ों का स्वाद महसूस करते हैं क्या कभी उतना ही इससे होने वाले बीमारी के खतरे को महसूस किया है. शायद नहीं, क्योंकि 'प्राण जाए पर स्वाद न जाए' की रीत को जो फॉलो करते हैं लोग. पर हमें आपकी चिंता है इसलिए हम आपको आज मैदा से होने वाले शारीरिक नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं. आज हम आपको 7 ऐसी गंभीर बीमारियों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जिनके खतरे को आप सिर्फ मैदा पर थोड़ी रोक लगा कर ही टाल सकते हैं.


मोटापा बढ़ाए
मैदा का सीधा सीधा असर सबसे पहले शरीर के वज़न पर पड़ता है. अगर आप बहुत ज़्यादा या रोज़ाना मैदा खाते हैं तो इससे आपका वजन बढ़ सकता है. यही नहीं, मैदा वज़न के साथ साथ कोलेस्‍ट्रॉल लेवल और खून में ट्राइग्‍लीसराइड भी बढ़ाती है.


पेट और पाचन के लिये खराब
मैदे को शरीर के लिए ज़हर माना जाता है क्योंकि इसमें बिल्‍कुल भी फाइबर नहीं होता, जो शरीर को चलाने के लिए बेहद ज़रूरी है. इसी वजह से अक्सर लोगों को मैदा से बनी चीज़ें खाने के बाद पेट से जुड़ी समस्याओं जैसे कब्ज़, अपच, दस्त, पेट में जलन आदि का सामना करना पड़ जाता है.


फूड एलर्जी होना
मैदे में ग्‍लूटन नामक तत्व पाया जाता है, जो खाने को लचीला बना कर उसको मुलायम टेक्‍सचर देता है. पर फाइबर न होने के कारण मैदा का ये लचीलापन देर से पचता है और अंदर पेट में पड़े पड़े आपको फ़ूड एलर्जी कर सकता है.


हड्डियां को बनाए कमजोर
मैदे को आटे से बनाया जाता है लेकिन मैदा बनाने के प्रोसेस में आटे का सारा प्रोटीन नष्ट हो जाता है. जिसकी वजह से ये एसिडिक बन जाता है जो हड्डियों से कैल्‍शियम को खींचकर हड्डियों को कमजोर करने का काम करता है.


इम्यूनिटी घटाए
मैदे को रोज़ाना खाने से शरीर का इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर हो जाता है. जिसकी वजह से बार बार बीमार होने की संभावना और किसी बड़ी बीमारी के होने का खतरा बढ़ने लगता है.


डायबिटीज का खतरा
मैदा में बहुत ज़्यादा हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्‍स पाया जाता है जो शुगर लेवल को ट्रिगर करने का काम करता है. इस इंडेक्स का असर इतना तेज़ होता है कि शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए अगर आप इन्सुलिन का इस्तेमाल करते हैं तो आपकी पैंक्रियास सिर्फ एक या दो बार ही इन्सुलिन को झेल पाएगी. इससे ज़्यादा बार इन्सुलिन के डोज़ से पैंक्रियास का काम धीमा पड़ जाएगा. इससे शरीर में इन्सुलिन की मात्रा कम होती जाएगी जो आपको आगे चलकर डायबिटीज की चपेट में ला सकती है.


गठिया और हार्ट की बीमारी
मैदा खाने से ब्‍लड शुगर लेवल तेज़ी से बढ़ता है जिसकी वजह से खून में ग्‍लूकोज़ जमने लगता है. जो शरीर में केमिकल रिएक्‍शन्स को पैदा करता है. जिससे कैटरैक्‍ट से ले कर गठिया और हार्ट की बीमारियां होने का खतरा मंडराने लगता है.


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