छोटे बच्चों पर मंडरा रहा है बड़ा खतरा, इस तरह की डिलीवरी में माइक्रो प्लास्टिक का लिंक
माइक्रोप्लास्टिक प्लास्टिक के बहुत महीन कण हैं, जो आंखों से दिखाई भी नहीं देते हैं. ये जब खाने-पीने या हवा के जरिए गर्भवती महिलाओं के शरीर में पहुंचते हैं,तो प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक पहुंच जाते हैं.

Microplastics Impact in Pregnancy : प्लास्टिक हम सभी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है. खाने-पीने से लेकर पहनने तक के सामान के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है. जिसका असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है. प्लास्टिक की वजह से धीरे-धीरे शरीर को गंभीर नुकसान पहुंच रहा है. प्लास्टिक धीरे-धीरे टूटकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाता है, जिसे माइक्रोप्लास्टिक कहा जाता है, जो बेहद खतरनाक है. आजकल प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक छोटे बच्चों की सेहत को इससे गंभीर नुकसान पहुंच रहा है.
प्रेगनेंट महिलाओं पर माइक्रोप्लास्टिक का असर
प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण हवा, पानी और खाने के साथ हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं. प्रेगनेंसी में महिलाओं और गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी इसका असर पड़ रहा है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में हैरान कर देने वाला खुलासा हुआ है. जिसमें बताया गया है कि गर्भवती महिलाओं के प्लेसेंटा (placenta) यानी गर्भनाल में भी माइक्रोप्लास्टिक (Microplastics) पाया जा रहा है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है.
माइक्रोप्लास्टिक का गर्भ में पल रहे बच्चे पर असर
1. प्लेसेंटा वो अंग होता है, जो मां से बच्चे तक पोषण और ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है, लेकिन प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण गर्भवती महिला के शरीर में पहुंचकर बच्चे की ग्रोथ में रुकावट बनता है. इससे उनका विकास नहीं हो पाता है.
2. प्लास्टिक में ऐसे-ऐसे केमिकल होते हैं, जो हार्मोन्स को बुरी तरह प्रभावित कर सकते हैं, जिससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित हो सकता है.
3. माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से बच्चे की इम्यूनिटी कम हो सकती है, जिससे जन्म के बाद बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है.
4. हाल ही आई एक स्टडी में खुलासा हुआ कि माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने वाले नवजात बच्चों का वजन सामान्य से काफी कम हो सकता है.
5. माइक्रोप्लास्टिक की वजह से जन्म के समय बच्चों में अस्थमा, एलर्जी और मानसिक समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है.
माइक्रोप्लास्टिक से बच्चों को कैसे बचाएं
1. गर्भवती महिलाएं प्लास्टिक के बर्तन का इस्तेमाल न करें.
2. खाना हमेशा ताजा और नेचुरल ही खाएं.
3. प्रोसेस्ड और पैक्ड फूड में भी माइक्रोप्लास्टिक होता है.
4. पानी अच्छी तरह फिल्टर करके ही पिएं ताकि उसमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक हटाया जा सके.
5. धूल और गंदगी में माइक्रोप्लास्टिक के कण होने की आशंका होती है, इसलिए बाहर निकलें तो इन चीजों से बचें.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
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