H3N2 Virus: देश में इन दिनों सर्दी-खांसी और बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की अनुसार, इसके लिए एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस जिम्मेदार है. ICMR के मुताबिक, पिछले दो-तीन महीनों से इन्फ्लूएंजा वायरस के A सबटाइप H3N2 की वजह से फीवर और सर्दी-खांसी के मामलों में इजाफा हुआ है. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की तरफ से भी बताया गया है कि अभी मौसमी बुखार तेजी से फैल रहा है. इसलिए बुखार या सर्दी-जुकाम में एंटीबायोटिक लेने से बचने की सलाह दी गई है. IMA का कहना है कि यह बुखार तो तीन दिन में उतर जाता है लेकिन सर्दी-खांसी 3 हफ्तों तक रह सकती है. पॉल्युशन की वजह से भी 15 से कम और 50 साल से ज्यादा के लोगों में सांस की नली में इंफेक्शन के मामले भी बढ़ रहे हैं.
इन्फ्लूएंजा क्या होता है
WHO के अनुसार, मौसमी इन्फ्लूएंजा वायरस A, B, C और D चार तरह के होते हैं. A और B से मौसमी फ्लू फैलता है. इन्फ्लूएंजा A टाइप को महामारी की वजह भी माना जाता है. इसके दो सबटाइप होते हैं. पहला H3N2 और दूसरा H1N1... इनफ्लूएंजा टाइप B के सबटाइप तो नहीं होते लेकिन इसके लाइनेज हो सकते हैं. टाइप C को काफी हल्का माना जाता है, जो खतरनाक नहीं होता है. वहीं, टाइप D मवेशियों और जानवरों में फैलता है.
इन्फ्लूएंजा के क्या लक्षण होते हैं
WHO की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, मौसमी इन्फ्लूएंजा की चपेट में आने पर बुखार, खांसी, सिरदर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, थकावट, गले में खराश और नाक बहने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. संक्रमण की चपेट में आने से ज्यादातर लोगों का फीवर एक हफ्ते में ही ठीक हो जाता है, लेकिन खांसी को ठीक होने में दो या उससे ज्यादा हफ्ते का वक्त भी लग सकता है.
H3N2 से सबसे ज्यादा खतरा
वैसे तो इन्फ्लूएंजा किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है लेकिन इससे सबसे ज्यादा खतरा गर्भवती महिलाओं को होता है. 5 साल से कम उम्र के बच्चों और बुजुर्ग के साथ किसी बीमारी से जूझ रहे इंसान को भी इससे सबसे ज्यादा खतरा रहता है. हेल्थकेयर वर्कर्स को भी इन्फ्लूएंजा से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा जोखिम रहता है.
यह कैसे फैलता है
यह एक वायरल बीमारी है, इसलिए एक-दूसरे में आसानी से ट्रांसफर हो सकता है. WHO के मुताबिक, भीड़भाड़ वाली जगह पर यह आसानी से अपने पैर पसारता है. H3N2 इन्फ्लूएंजा से संक्रमित व्यक्ति जब खांसता या छींकता है तो उसके ड्रॉपलेट हवा में एक मीटर तक किसी भी तक फैल सकता है. किसी संक्रमित सतह को छूने से भी यह वायरस फैल सकता है.
इन्फ्लूएंजा की चपेट में आने पर सावधानियां
भीड़भाड़ वाली जगह जाने से बचें और अगर जाएं तो मास्क पहनें.
कोशिश करें कि बार-बार अपनी आंखों और नाक को न छूएं.
खांसते या छींकते वक्त मुंह और नाक पर रूमाल रखें या उन्हें ढंककर रखें.
हाथ मिलाने से जितना हो सके बचें.
पब्लिक प्लेस पर थूकने से बचें.
बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक या दवा न लें.
कितना खतरनाक है इन्फ्लूएंजा
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोग इन्फ्लूएंजा के शिकार के बाद बिना मेडिकल केयर के ही ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह खतरनाक भी हो सकता है और जानलेवा भी. एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया में हर साल गंभीर बीमारी के 30 से 50 लाख केस सामने आते हैं, जिनमें से 2.90 लाख से 6.50 लाख मौतें हो जाती हैं.
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