(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के 21 साल के बेटे की हीट स्ट्रोक से मौत, जानें कब जानलेवा हो जाता है Heat Stroke
जब गर्मी बहुत ही ज्यादा हो जाती है तब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और पसीना भी जरूरत से ज्यादा निकलता है. इससे बॉडी में सोडियम कम होने लगता है, जिसका असर कई अंगों पर पड़ता है.
Heat Stroke : हर दिन नए रिकॉर्ड बना रह रही गर्मी लगातार जानलेवा बनती जा रही है. इसकी चपेट में आकर जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना के 21 साल के बेटे अमोल की मौत हो गई है. दिल्ली में रह रहे अमोल को रविवार को लू (Heat Stroke) लगने की वजह से अमोल को काफी उल्टियां हुईं. उसे एम्स में एडमिट कराया गया. जहां उसकी मौत हो गई.
इससे पहले भी राजस्थान समेत कई जगहों पर हीट स्ट्रोक से कई लोगों की मौत हुई है. ऐसे में हर किसी को सावधानियां बरतने की जरूरत है. ज्यादातर जगहों का तापमान 45 डिग्री या उससे ज्यादा है, जिसकी वजह से हीट स्ट्रोक का खतरा लगातार बढ़ रहा है और यह जानलेवा बनता जा रहा है.
कब खतरनाक हो जाता है हीट स्ट्रोक
एक स्वस्थ इंसान के शरीर का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस (98.6 फारेनहाइट) होता है. हमारा शरीर पहले से ही इस तरह डिजाइन है कि हर हाल में इस टेंपरेचर को बनाए रखने की कोशिश करता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब शरीर का तापमान इससे ज्यादा बढ़ जाता है तो वह गर्म होने लगता है, जिससे बुखार आ जाता है. शरीर का तापमान 100 या 102 डिग्री सेल्सियस तक तो कुछ हद तक ठीक है लेकिन जब इससे ज्यादा बढ़ता है तो खतरनाक हो सकता है.
कूलिंग सिस्टम हो जाता है फेल
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हमारे शरीर को ठंडा रखने के लिए प्राकृतिक तौर पर एक कूलिंग सिस्टम काम करता है. जब बाहर गर्मी बढ़ती है तो शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. इस दौरान ब्रेन उस तापमान को कंट्रोल करने की कोशिश करता है. इस दौरान शरीर में मौजूद ग्लैंड पसीना निकलने लगता है. इस पसीने से त्वचा बाहर के वातावरण में चल रही हवा से खुद को ठंडा करती है.
इससे अंदर के अंग भी खुद को कूल करना शुरू कर देते हैं. लेकिन जब गर्मी बहुत ही ज्यादा हो जाती है तब तापमान बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और पसीना भी जरूरत से ज्यादा निकलता है. इससे बॉडी में सोडियम कम होने लगता है, जिसका असर कई अंगों पर पड़ता है. सबसे पहले असर स्किन पर पड़ता है, उस पर लाल रंग के दाने होने लगते हैं. कुछ मामलों में तापमान बढ़ने का सीधा असर ब्रेन पर पड़ सकता है, जो जानलेवा हो जाता है.
हीट स्ट्रोक कब बन जाती है जानलेवा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, जब बहुत ज्यादा पसीना निकलता है तो दिमाग का सिग्नल सिस्टम बिगड़ने लगता है. इससे चक्कर आना, अचानक से बेहोशी हो सकती है. जब शरीर का तापमान बढ़ जाता है तो बहुद ज्यादा पसीना निकलता है, ऐसा ज्यादातर 40 डिग्री सेल्सियस तापमान होने पर होता है.
इस कंडीशन में पानी की कमी होने लगती है और डिहाइड्रेशन की वजह से कमजोरी, थकान होने लगती है. ऐसे में अगर तापमान कंट्रोल न हो और लगातार बढ़ता जाए तो 44 डिग्री सेल्सियस तक भी जा सकता है, जिसमें ब्रेन डैमेज हो जाता है. ब्रेन फेल होने पर मौत हो जाती है. यह प्रक्रिया काफी तेजी से हो सकती है. इसकी शुरुआत बहुत ज्यादा पसीना आने से हो सकती है. स्किन, ब्रेन के अलावा किडनी, हार्ट पर भी इसका असर हो सकता है.
हार्ट अटैक भी आ सकता है
हीट स्ट्रोक की वजह से हार्ट अटैक आना के भी खतरा रहता है और इससे भी मौत हो जाती है. जब बाहर का तापमान बहुत ज्यादा होता है तो पसीना भी अधिक निकलने लगता है, जिससे पसीना कमी होने लगती है. इसके कारण ब्लड का वॉल्यूम कम हो जाता है और हार्ट पर प्रेशर पड़ जाता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा रहता है.
हीट स्ट्रोक से खुद को कैसे बचाएं
1. बहुत ज्यादा गर्मी पड़ने पर घर से बाहर न निकलें.
2. अगर घर से बाहर जाना जरूरी है तो पूरी बाजू और सूती कपड़े ही पहनें.
3. धूप में कोशिश करें की छाता लेकर ही जाएं. टोपी, चश्मा जरूर पहनें.
4. बॉडी में डिहाइड्रेशन न हो, इसके लिए लगातार पानी पीते रहें.
5. तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से पूरी तरह बचें.
6. चाय-कॉफी न पिएं, फ्रूट जूस, शिकंजी, ठंडई का सेवन करें.
7. हीट स्ट्रोक जैसी इमरजेंसी कंडीशन में इंसान को तुरंत अंधेरे और ठंडे कमरे में लेकर जाएं, जब तक बॉडी टेंपरेचर कूल न हो, गीले, ठंडे कपड़े से शरीर को पोछें.
8. लू लगने पर ORS या नींबू-नमक पानी पिलाते रहें.
9. हीट स्ट्रोक की कंडीशन में जब तक डॉक्टर के पास नहीं पहुंच जा रहे हैं, तब तक कांख यानी आर्म पिट और ग्रॉइन एरिया में आइस बैग्स जरूर रखें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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