Covid-19 Effect: कोरोना ने एक दफा फिर दुनिया की चिंता बढ़ा दी है. भारत सरकार पूरी तरह अलर्ट है. लोगों से कोरोना (Corona) से सावधान रहने की अपील कर रही है. कोविड का असर आज भी कई लोगों पर देखने को मिल रहा है. लंबे समय तक कोविड की चपेट में रहे मरीजों में डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसी समस्याएं ज्यादा हैं. कुछ रिसर्च में यह भी दावा किया गया है कि लॉन्ग कोविड (Long Covid) का किडनी पर असर पड़ रहा है. अब एक नया रिसर्च भी सामने आया है, जिसमें बताया गया है कि लंबे समय तक कोरोना के मरीज रहे लोगों में लिवर डैमेज होने का खतरा बढ़ गया है. कोविड इंफेक्शन से लिवर में स्टीफनेस (Liver Stiffness) पैदा कर रहा है. आइए जानते हैं रिसर्च में क्या बात सामने आई है..
कोविड मरीजों में लिवर डैमेज होने का खतरा- रिसर्च
रेडियोलॉजी सोसाइटी ऑफ नोर्थ अमेरिका की तरफ से की गई एक स्टडी टीम के प्रमुख फिरोजेह हेदारी के मुताबिक, 'स्टडी में पुख्ता प्रमाण मिला है कि कोरोना इंफेक्शन के कारण लिवर इंज्यूरी होनें के चांसेस बढ़ गए हैं'. साइटेकडेली में प्रकाशित इस स्टडी में कहा गया है कि लिवर में कड़ापन आना लिवर डैमेज होने के लक्षण हैं. इससे लिवर में सूजन या फाइब्रोसिस होता है. अगर यह फाइब्रोसिस बढ़ता गया तो लिवर कैंसर या लिवर के फेल होने का खतरा भी काफी बढ़ जताा है.
कब हुआ रिसर्च
शोधकर्ताओं ने स्टडी के दौरान इसमें जिन लोगों को शामिल किया, उन्हें दो ग्रुप में बांटा और लिवर स्टिफनेस से पीड़ित मरीज में कोविड-19 होने का डाटा इकट्ठा किया. 2019 से 2022 के बीच मेसाच्यूसेट्स जेनरल अस्पताल में सभी मरीजों का अल्ट्रासाउंड शियर वेव इलास्टोग्राफी किया गया. शियर वेव इलास्टोग्राफी लिवर के टिशूज में स्टीफनेस मापने की सबसे मॉडर्न टेक्नोलॉजी है.
कोविड इंफेक्शन का इफेक्ट
इंडियन एक्सप्रेस में छपी इस खबर में सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल एंड रिसर्च सेंटर के डिपार्टमेंट ऑफ हेपाटोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. आकाश शुक्ला ने जानकारी देते हुए बताया कि कोविड वायरस का चोलानोजियोसाइट्स के साथ समरूपता है. चोलानोजियोसाइड्स कोशिका के रूप में लिवर के बाहर और भीतर पित्त में लाइनिंग रहती है. चूंकि लिवर शरीर का सबसे बड़ा इम्यून अंग है, लेकिन कोविड इंफेक्शन के बाद एंटीजेन-एंटीबॉडी को टारगेट करता है. इसी वजह से कोविड के आधे मामले में लिवर इफेक्ट होता है. कई बार लिवर की यह कंडिशन में कोई लक्षण नहीं दिखाई देते और इसका इलाज भी आसान होता है लेकिन जब लिवर इंज्यूरी गंभीर हो जाती है, तब जॉन्डिस होने या हेपटाइटिस हो सकता है.
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