एक्सप्लोरर
Advertisement
(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
मर्द को क्यों नहीं हो सकता दर्द? पुरुषों को भी होती है सपोर्ट की दरकार, सिर्फ प्रॉब्लम सॉल्वर के तौर पर न देखें
समाज में एक पुरुष की छवि जिस तरह की बनाई गई है, इसका असर उनके मेंटल हेल्थ पर पड़ रहा है. विपरीत परिस्थिति में भी वे किसी का सपोर्ट लेने से बचते हैं और अंदर ही अंदर खुद की तकलीफ को दबाकर रखते हैं.
Men’s Mental Health : क्या मर्द को दर्द नहीं हो सकता है. यह सवाल थोड़ा मुश्किल भले ही है लेकिन जरूरी भी है, क्योंकि अक्सर हमारे समाज में पुरुषों में गिवरर की तरह ही देखा जाता है. उनसे फैमिली चलाने और कई जिम्मेदारियों की उम्मीद की जाती है. माना जाता है कि हर मुश्किल चीज का सॉल्यूशन उनके पास है. बिना यह सोचे कि उन्हें भी किसी तरह की समस्या हो सकती है, वे भी तनाव से जूझ सकते हैं. कहने का मतलब यह है कि हीमैन और सुपरमैन वाला सोशल टैबू कहीं न कहीं पुरुषों के लिए परेशानी का कारण बन रहा है. यह उन्हें मेंटली और इमोशनली बीमार भी बना रहा है. इसी समस्या से उन्हें बाहर निकालने के लिए जून को मेंस मेंटल हेल्थ अवेयरनेस मंथ (Men’s Mental health Awareness Month) की तरह मनाया जाता है.
क्या सोशल टैबू पुरुषों की समस्या बढ़ा रही है
हमारे समाज में पुरुष को लेकर अलग ही सोच चलती रहती है. उनसे तो यह भी अपेक्षा नहीं की जाती कि उन्हें भी चोट लग सकती है. कई बातें मेल कंडीशन का हिस्सा बन गई है. जैसे- 'घर में काम कर रहा है', 'लड़कियों की तरह मत रो', 'महिलाओं की तरह घर में क्या बैठा रहता है.' ऐसी तमाम बातें हैं, जो पुरुषों को कठोर बनाने का काम करती है. ऐसे में उनका तनाव भी बढ़ सकता है और इसका असर फैमिली और रिलेशनशिप पर आ सकता है.
पुरुष किस तरह सोशल टैबूज के शिकार
मर्द को दर्द नहीं होता है
साइकोलॉजिस्ट बताते हैं कि समाज ने पुरुष को लेकर अलग ही राय सेट कर ली है. उन्हें इमोशनली काफी स्ट्रॉन्ग दिखाया जाता है. मर्द को दर्द नहीं होती वाली भावना चलती रहती है. माना जाता है कि एक आदमी को हमेशा सख्त और कठोर होना चाहिए. अगर वे खुद को इमोशनली वीक पाते हैं तो उन्हें कमजोर मान लिया जाता है. जिसके चलते पुरुष अपनी समस्या पर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं.
सुपरमैन जैसी छवि
भारत और यूरोपीय देशों में पुरुषों को प्रॉब्लम सॉल्वर और सेवियर के तौर पर देखा जाता है. माना जाता है कि उन्हें हर वक्त दूसरों की हेल्प के लिए तैयार रहना चाहिए. खुद के दर्द को इग्नोर कर हर किसी की हेल्प करनी चाहिए. मतलब इस तरह के समाज में पुरुषों पर भावनाओं को दबाने का दबाव रहता है. जिसकी वजह से वे अपनी मानसिक समस्या पर खुलकर बात नहीं कर पाते हैं.
मजाक उड़ाना
पुरूषों में अक्सर यह डर बना रहता है कि अगर वे अपनी एंग्जाइटी और डिप्रेशन पर किसी से बात करते हैं तो उन्हें जज किया जाएगा और उनका मजाक उड़ाया जाएगा. इसकी वजह से वे अंदर ही अंदर घुटते रहते हैं. इसका असर उनकी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरह की लाइफ पर पड़ता है.
जागरूकता की कमी
मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, सोशल मीडिया और फिल्मों में इसको लेकर कम बात होना, हीरो को सिक्स पैक वाला दिखाना...पुरुषों में डर पैदा करता है. इस वजह से पुरुष अपना दर्द समेटकर खुद तक ही सीमित रखते हैं. इसकी वजह से उनकी मेंटल कंडीशन बिगड़ सकती है.
सपोर्ट करने वालों की कम संख्या
अगर पुरुष को मेंटली और इमोशनली सपोर्ट मिले तो वे काफी मजबूत हो सकते हैं लेकिन समाज में उनको सपोर्ट करने वाले कम होते हैं और जिसकी वजह से वे कठोर हो जाते हैं. अपनी बात किसी से न कह पाने के चलते उनका मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
यह भी पढ़ें
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, लाइफस्टाइल और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें
और देखें
Advertisement
ट्रेंडिंग न्यूज
Advertisement
Advertisement
टॉप हेडलाइंस
उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड
बॉलीवुड
क्रिकेट
दिल्ली NCR
Advertisement