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(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Fake Medicine: कैंसर-बीपी छोड़ो, अब तो डिप्रेशन की भी नकली दवा आने लगी, ऐसे कर सकते हैं इनकी पहचान
जब भी दवाईयां खरीदें तो कुछ बातों का ध्यान रखें वरना नकली दवाओं का शिकार बन सकते हैं, क्योंकि आजकल मार्केट में नकली दवाईयां बेची जा रही है. यूपी में हाल ही में एक अवैध फैक्ट्री का खुलासा हुआ है.
Depression Fake medicine: कहीं आप भी तो नकली दवाईयां नहीं खा रहे हैं, कहीं आप भी बिना जांच किए कोई भी दवा तो नहीं उठा ला रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि अब मार्केट में नकली दवाईयां आ गई हैं. कैंसर-बीपी ही नहीं एंग्जाइटी-डिप्रेशन तक की नकली दवाईयां धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं. नकली दवाएं पकड़े जाने के वैसे तो कई मामले सामने आ चुके हैं लेकिन ताजा मामला यूपी का है. जहां हाल ही में गजरौला में नकली एंग्जाइटी और डिप्रेशन की दवा बनाने वाली अवैध फैक्ट्री पकड़ी गई है. स्पेशल सेल की इस कार्रवाई के बाद से ही एक बार फिर सवाल उठने लगा है कि आखिर जब बाजार में तमाम तरह की मेडिसिन उपलब्ध हैं तो ऐसे में असली और नकली दवा का अंतर करें तो कैसे करें. आइए जानते हैं...
डिप्रेशन की नकली दवा
यूपी में स्पेशल सेल की कार्रवाई में डिप्रेशन की नकली दवाएं बनाने वाली फैक्ट्री का खुलासा हुआ. तीन आरोपी पकड़े गए. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो भी इस कार्रवाई का हिस्सा रही है. कुल 700 किलो कच्चा माल बरामद किया गया है.जिससे एंग्जाइटी की दवा 'अल्प्राजोलम' बनाई जानी थी. फैक्ट्री से 4.720 किलो हाई क्वॉलिटी वाला साइकोट्रोपिक पदार्थ अल्प्राजोलम भी मिला है.
बता दें कि अल्प्राजोलम (Alprazolam) पैनिक डिसऑर्डर और डिप्रेशन के इलाज में इस्तेमाल की जाती है. इससे पहले 25 अप्रैल को स्पेशल टीम ने IGI एयरपोर्ट पर कूरियर कंपनी के वेयर हाउस में इस रैकेट से जुड़े एक मेंबर को पकड़ा था. जिसके पास से साइकोट्रोपिक पदार्थ मिला था. पुलिस ने हरिद्वार में छापेमारी की और कथित तौर पर उस शख्स के घर से 1.006 किलो साइकोट्रोपिक पदार्थ अल्प्राजोलम वाला पैकेट पाया. इसका कनेक्शन गजरौला फैक्ट्री से निकला. हालांकि, फैक्ट्री का मालिक अभी भी पकड़ में नहीं आया है.
असली-नकली दवा की पहचान कैसे करें
1. असली दवाओं पर एक QR कोड होता है, जो खास तरह का यूनिक कोड प्रिंट है. इससे दवा के बारें में पूरी जानकारी ले सकते हैं. ऐसे में अगर दवा पर ये कोड नहीं है तो समझ जाए कि दवा नकली है. ऐसी दवाईयों को खरीदने से बचना चाहिए.
2. दवा पर दी गई इस यूनिक क्यूआर कोड को स्कैन कर पूरी जानकारी सामने आ जाएगी. नियम कहता है कि 100 रुपए से ज्यादा वाली दवाईयों पर क्यूआर कोड अनिवार्य है। इसके बिना दवाएं न खरीदें.
3. दवाइयों पर लगा क्यूआर कोड एडवांस वर्जन का रहता है, जिसे सेंट्रल डेटाबेस एजेंसी से कनेक्ट किया जाता है. हर दवा के साथ ये कोड भी बदल जाता है. ऐसे में इसकी कॉपी या नकली बना पाना संभव नहीं है.
4. हमेशा लाइसेंस वाले मेडिकल स्टोर से ही दवाईयां खरीदें. बिल लेना कभी न भूलें.
5. ऑनलाइन दवाइयां खरीदने से बचें, इसमें फ्रॉड की ज्यादा आशंका रहती है.
6. पैकेजिंग में अंतर या प्रिंटिंग में स्पेलिंग एरर या अलग डिजाइन होने से नकली दवा की पहचान कर सकते हैं.
7. दवाईयों पर बैच नंबर, मैन्युफैक्चरिंग डेट और एक्सपायरी डेट जरूरी होनी चाहिए.
8. अगर एक ही पैकेट में कई रंग की दवाईयां हैं या कुछ दवाईयों पर सीलन सी लगी है या बदबू कर रही है तो उसे न खरीदें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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