Plastic Side Effects : सोते-जागते, चलते-फिरते हर समय प्लास्टिक हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गया है. यह बात तो सिर्फ उस प्लास्टिक की है, जिसे हम देख पाते हैं. माइक्रो और नैनो प्लास्टिक तो आंखों से नजर ही नहीं आता है. ये पर्यावरण ही नहीं हमारे शरीर के लिए भी हानिकारक है. खाना, पानी, हवा हर चीज में माइक्रो-नैनो प्लास्टिक छिपकर बैठे हैं और शरीर में घुसकर खतरे पैदा कर रहे हैं.
वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) की एक रिपोर्ट के अनुसार, एक इंसान हर हफ्ते 5 ग्राम प्लास्टिक खा लेता है. यह एक क्रेडिट कार्ड जितना होता है. इसका सबसे बड़ा सोर्स पानी है. बोतलबंद पानी, नल, सतह और जमीन के अंदर से आने वाले पानी में प्लास्टिक के कण पाए जाते हैं.
शरीर में कितना प्लास्टिक जमा हो रहा है
इस रिपोर्ट के मुताबिक, एक महीने में शरीर में 21 ग्राम प्लास्टिक और एक साल में पेट में 250 ग्राम प्लास्टिक पहुंच रहा है. इस हिसाब से 79 साल की उम्र तक शरीर में करीब 20 किलो प्लास्टिक जमा हो जाता है, जो दो बड़े डस्टबीन के बराबर होता है. इससे कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां शरीर को घेर रही है.
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प्लास्टिक की चीजों के इस्तेमाल से नुकसान
प्लास्टिक के कप, डिस्पोजेबल में गर्म चीजें खाने-पीने से प्लास्टिक में मौजूद केमिकल और पार्टिकल शरीर के अंदर पहुंच सकते हैं. प्लास्टिक में शीशा और आर्सेनिक का भी इस्तेमाल होता है, जो जहरीले होते हैं और कई खतरनाक बीमारियों को जन्म दे सकते हैं.
प्लास्टिक से किन बीमारियों का खतरा
ल्यूकेमिया,लिंफोमा
ब्रेन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर
प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ना
फेफड़े जल्दी खराब हो सकते हैं
ब्रेन को नुकसान
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प्लास्टिक का इस्तेमाल कम कैसे करें
1. किचन में प्लास्टिक के डिब्बों की बजाय जार या स्टेनलेस स्टील लाएं.
2. प्लास्टिक रैप्स की बजाय सिलिकॉन रैप्स या सिल्वर फॉइल का इस्तेमाल करें.
3. प्लास्टिक की कंघी, ब्रश नहीं लकड़ी के ब्रश और कंघी यूज करें.
4. बाजार में हमेशा कपड़े के बैग ही शॉपिंग के लिए यूज करें.
5. प्लास्टिक के रबिंग आइटम्स या स्क्रबर्स को हटाकर नेचुरल स्क्रबर्स लाएं.
6. कचरे को प्लास्टिक बैग हटाकर कंटेनर में कचरे रखें.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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