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अगर इस कंडीशन में बढ़ जाती है हार्ट बीट तो हो जाएं सावधान ! ये हो सकता है POTS
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैकेकार्डिया सिंड्रोम एक ऐसी कंडीशन है, जब शरीर के ऊपरी हिस्से में ब्लड नहीं पहुंच पाता है. तब मस्तिष्क तक ब्लड ले जाने की कोशिश में दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.
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पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैकेकार्डिया सिंड्रोम का कारण
Source : Freepik
Heart Rate And POTS : शरीर में ब्लड सर्कुलेशन जितना सही रहेगा, उसके अंग उतने ही बेहतर ढंग से काम करते हैं. बॉडी के अंदर चलने वाली यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जो लगातार चलती रहती है. हालांकि, कुछ डिसऑर्डर की वजह से बॉडी में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है. POTS (Postural Orthostatic Tachycardia Syndrome) भी एक ऐसा ही डिसऑर्डर है. इसमें खड़े होने पर ज्यादातर ब्लड शरीर के निचले हिस्से पर ही रह जाता है और ऊपरी हिस्से पर सर्कुलेशन बाधित हो जाता है. इसकी प्रतिक्रिया में हार्ट बीट बढ़ जाती है और कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं. डॉक्टर का मानना है कि हर किसी को POTS के बारें में जानकारी होनी चाहिए, ताकि इससे बच सके.
POTS क्या है
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैकेकार्डिया सिंड्रोम एक ऐसी कंडीशन है, जब शरीर के ऊपरी हिस्से में ब्लड नहीं पहुंच पाता है. तब मस्तिष्क तक ब्लड ले जाने की कोशिश में दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं. खड़े होने के 1 मिनट में ही हार्ट 30 बीट या ज्यादा बढ़ सकती है. इससे शरीर का संतुलन बिड़ सकता है.
POTS के लक्षण
पेट दर्द और सूजन
दस्त या कब्ज
ज्यादा पसीना आना
चक्कर या बेहोशी
धुंधला दिखना
जी मिचलाना या उल्टी होना
पोस्टुरल ऑर्थोस्टैटिक टैकेकार्डिया सिंड्रोम का कारण
डॉक्टर के मुताबिक, कुछ स्थितियां पीओटीएस के जोखिम को बढ़ा सकती हैं. यह किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है लेकिन सबसे ज्यादा खतरा 15-50 साल वालों में देखा गया है. कुछ बीमारियां भी इस डिसऑर्डर को बढ़ा सकती हैं. इनमें एनीमिया, ऑटोइम्यून डिजीज, क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम, डायबिटीज, मल्टीपल स्क्लेरोसिस की समस्याएं शामिल हैं.
पीओटीएस की पहचान कैसे करें
1. नहाते वक्त, लाइन में खड़े होने पर अगर तनाव महसूस होना.
2. खाने के बाद भी पीओटीएस के लक्षण मसूस हो सकते हैं.
पीओटीएस का इलाज
वैसे तो इस डिसऑर्डर का कोई इलाज नहीं है. कुछ दवाओं या थेरेपी से इसके खतरे को कम जरूर किया जा सकता है. कंप्रेशन थेरेपी इनमें से ही एक है, जो ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाकर शरीर के बाकी हिस्सों तक ब्लड पहुंचाने का काम कर सकता है. इसके अलावा लाइफस्टाइल को दुरुस्त रखें. पूरी नींद लें, नियमित तौर पर योगा-एक्सरसाइज करें. इन सबसे पीओटीएस का खतरा कम हो सकता है.
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![रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/e4a9eaf90f4980de05631c081223bb0f.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)
रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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