Sleeping Disorder: आपने टीवी पर एक शो देखा होगा, जिसमें एंकर कहता है 'चैन से सोना है तो जाग जाइए'. लेकिन अगर लंबे समय तक जवां रहना है और बुढ़ापे को दूर रखना है तो चैन से सोना भी जरूरी है. जी हां, कोरोना काल के बाद लोगों की नींद जिस तरह बर्बाद हुई है, उसे देखकर हेल्थ एक्सपर्ट्स ने भरपूर नींद की वकालत की है. हालिया आंकड़े कहते हैं कि देश में 30 से ज्यादा फीसदी लोग नींद की कमी से जूझ रहे हैं और कोरोना काल के बाद नींद की कमी कई दूसरी बीमारियों का कारण बनती जा रही है. नींद ना आने की समस्या बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही सेहत से जुड़े रिस्क भी लगातार बढ़ रहे हैं. चलिए जानते हैं इस बारे में

 

क्यों डिस्टर्ब होती है नींद  

कोरोना काल के बाद लोगों में अवसाद, चिंता और तनाव बढ़ा है जिसके चलते लोगों में नींद ना आने की परेशानी बढ़ी है. इसके साथ साथ असंतुलित लाइफस्टाइल, देर रात तक मोबाइल या टीवी देखना और काम के अनियमित घंटों ने भी नींद में अच्छा खासा खलल डाला है. इसी का नतीजा है कि अधिकतर लोग पूरी नींद ना आने या नींद की कमी की शिकायत करते रहते हैं.

 

किस उम्र में कितने घंटे की नींद जरूरी 

 हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि 16 साल से 17 साल तक के बच्चों को दिन में कम के कम 13 घंटे सोना चाहिए. वहीं 20 से 55 साल के लोगों को एक दिन में कम से कम 7 घंटे जरूर सोना चाहिए. अगर आप पचास साल के ज्यादा की उम्र के हैं तो आपको 6 घंटे सोना चाहिए. देखा जाए तो नींद दिन भर के काम के बाद आपके शरीर को आराम देती है. ये एक स्पा की तरह है जो शरीर को रिफॉर्म करने के साथ साथ अगले दिन के लिए भरपूर एनर्जी भी देती है. इससे कार्यक्षमता और दिमागी विकास होता है. सोते समय दिमाग में जो कैमिकल प्रोसेस होती है, उससे दिमागी क्षमता बढ़ती है और बढ़ती उम्र के नकारात्मक प्रभाव को रोकने में मदद मिलती है. 

 

नींद की कमी से क्या होता है  

नींद की कमी ना केवल आपको कई बीमारियों के रिस्क में डाल देती है बल्कि इससे बुढापा भी जल्दी आता है और आपके जीवन के घंटे भी कम हो जाते हैं. नींद पूरी नहीं लेने वाले लोगों की बॉडी के सभी अंग सही से काम नहीं कर पाते, चेहरे पर समय से पहले झुर्रियां आने लगती है और मानसिक तनाव के साथ साथ काम करने की क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है. हेल्थ एक्सपर्ट कहते हैं कि नींद की कमी से मानसिक रोगों के साथ साथ, कैंसर, ब्रेन स्ट्रोक, ह्रदय संबंधी बीमारी और यहां तक कि डायबिटीज होने का भी खतरा बढ़ जाता है.नींद का साइकिल बिगड़ने से शरीर के मेटाबॉलिज्म पर बुरा असर पड़ता है और व्यक्ति का वजन बढ़ने लगता है.