Health Tips: खर्राटे- जिसे लोग एक मामूली आदत समझ कर गंभीरता से नहीं लेते, वही खर्राटे बड़ी बीमारियों का संकेत हो सकते हैं जिनसे आप अनजान हैं और जिसे नज़रंदाज़ करना सही नहीं. अक्सर खर्राटे लेकर सोने को लोग चैन की नींद लेना समझते हैं. लेकिन ऐसा नहीं है, खर्राटे न सिर्फ साथ सोने वाले बल्कि खुद खर्राटे लेने वाले व्यक्ति की नींद में भी खलल डालते हैं. आइये जानते हैं खर्राटों के पीछे की वजह, इसका इलाज और इससे जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें.


1. खर्राटों के पीछे के कारण
- सांस की नली का सिकुड़ जाना या छोटी हो जाना
- फ्लू, साइनस, एलर्जी या नाक बंद होने के कारण मुंह से सांस लेना
- गले में इंफेक्शन या टॉन्सिल सूजन के कारण हवा के मार्ग में रुकावट आना
- ओबेसिटी यानि अत्यधिक मोटापे की स्थिति में सांस की नली में फैट जमा हो जाना
- अधिक मात्रा में शराब की लत के कारण सांस की नली की मांसपेशियों में शिथिलता होना


2. क्या है इसका उपचार
खर्राटों से जुड़ी समस्या के लिए स्लीप फिजिशियन से संपर्क करें. बता दें कि, जो लोग इस समस्या से ग्रस्त होते हैं उनकी पॉलीसॉम्नोग्राफी के ज़रिये स्लीप स्टडी की जाती है. इस जांच में सोते समय मस्तिष्क की गतिविधियों के साथ सांस की गति, ऑक्सीजन सैचुरेशन लेवल और बल लगाने वाले श्वसन तंत्र को नोट किया जाता है. ज़रूरी नहीं है कि इसके लिए हॉस्पिटल जाया जाए. आप अपने घर में भी किसी की मदद से ये रिकॉर्ड कर सकते हैं. जब कोई इस बीमारी से ग्रस्त निकलता है तो उसके लिए सीपीएपी डिवाइस का इस्तेमाल किया जाता है. ये एक मास्क की तरह होता है, जिसके भीतर मशीन लगी होती है. इसकी मदद से श्वास की नली में रुकावट को हटाया जा सकता है. अगर समस्या ज़्यादा हो तो सर्जरी भी करानी पड़ सकती है.


3. कुछ जरूरी बातें
हमने खर्राटों की वजह बताई, उनका उपचार बताया जो उन लोगों के लिए बहुत फायदेमंद है जिन्हें इस समस्या से जूझना पड़ रहा है. लेकिन अब जो ज़रूरी बातें हम आपको बताने जा रहे हैं वो उन तमाम लोगों के लिए कारगर साबित हो सकती हैं जो अभी तक खर्राटे की इस परेशानी से अछूते हैं. अगर आप खर्राटे नहीं लेते हैं तो ये कुछ छोटी छोटी ध्यान देने वाली बातें हैं जो आपको आगे भी इससे मुक्त रख सकती हैं.


- अपना वज़न न बढ़ने दें क्योंकि खर्राटों का मुख्य लक्षण यही है
- घी, तेल, मीठी चीजें, नॉनवेज, मक्खन, मैदा, जंक फूड आदि का सेवन न करें
- सोने के लिए तकिये को ऊंचा रखें
- अगर साइनस की समस्या है तो ईएनटी में दिखाएं
- अपने शुगर लेवल को कंट्रोल में रखें


जिन लोगों को डायबिटीज होती है, उनपर इसका खतरा ज़्यादा होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि शुगर लेवल ज़्यादा हो जाने पर दिमाग में ऑक्सीजन की मात्रा घट जाती है, जिसके कारण स्ट्रेस हॉर्मोन सक्रिय हो जाते हैं. इसका प्रभाव शरीर के अन्य अंगों की तरह सांस की नली की मांसपेशियों पर भी पड़ता है, जिसके कारण खर्राटे आते हैं.


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