Spinal Cord Problem: जिस तरह आजकल की लाइफस्टाइल और दिनचर्या बन रही है, उसमें स्पाइन की परेशानी बढ़ रही है. स्पाइन हमारे ब्रेन को बॉडी से कनेक्ट करता है. अगर यह डिस्टर्ब हुआ तो चलना-फिरना भी दूभर हो सकता है. इस समस्य को स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन (Spinal Cord Compression) कहा जाता है. आम बोलचाल में लोग इसे रीढ़ की हड्डी का दबना कहते हैं. यह समस्या रीढ़ की हड्डी के प्रेशर की वजह से हो सकता है. स्पाइनल कॉर्ड नसों और टिश्यू का वह स्ट्रक्चर है जो दिमाग को लोअर बैक से जोड़कर रखता है. एक्सपर्ट्स के अनुसार, स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन ब्रेन से लेकर कमर के निचले स्तर तक कभी भी हो सकता है. इसकी शुरुआत को सर्वाइकल स्पाइन और नीचे वाले हिस्से को लुंबर स्पाइन कहते हैं. इसलिए समय पर इसका इलाज और ध्यान रखा चाहिए, वरना कई तरह की समस्याएं हो सकती है. आइए जानते हैं इससे बचने के लिए क्या-क्या करना चाहिए.
स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन के क्या-क्या लक्षण हैं
गर्दन, पीठ और कमर के नीचले हिस्से में दर्द या अकड़न
हाथ-कूल्हे और पैरों तक जलन और दर्द
हाथ-पैर में सुन्नपन या क्रैंप
चींटी चलना, पैर में सेंसेशन का न होना, हाथ-पैर के कॉर्डिनेशन में कमी
पैर का ना उठ पाना
पेशाब या मल निकलना
स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन का कारण
स्पाइन की असामान्य अलाइंमेंट
रीढ़ की हड्डी में चोट लगना
स्पाइनल ट्यूमर
हड्डियों की बीमारी
रुमेटॉयड आर्थराइटिस
इंफेक्शन
स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन का पता कैसे चलता है
स्पाइन एक्सरे
सीटी स्कैन
MRI टेस्ट
स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन का इलाज कैसे होता है
नॉन स्टेरोइड्ल एंटी इंफ्लामेटरी ड्रग्स
स्टेरॉयड्स
रेडिएशन थेरेपी
फिजिकल थेरेपी
सर्जिकल ट्रीटमेंट
एक्यूपंक्चर
क्रायोप्रैक्टर
स्पाइनल कॉर्ड कंप्रेशन से बचने के लिए क्या करें
1. रोजाना एक्सरसाइज करें
2. पोस्चर को बेहतर सही बनाए रखें
3. वजन कंट्रोल रखने की कोशिश करें
4. बैलेंस्ड डाइट लें
5. स्मोकिंग ना करें