Symptoms Of Pneumonia : देश में हर साल कई बच्चे निमोनिया (Pneumonia) के शिकार होते हैं. कई बच्चों की मौत भी हो जाती है. हालांकि, वैक्सीन आने के बाद से मौत के आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है लेकिन बीमारी अब भी गंभीर है. सर्दी के दिनों में बच्चों में निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है. इसलिए ठंड में बच्चों का ख्याल बाकी दिनों की अपेक्षा ज्यादा जरूरी होता है. आइए जानते हैं निमोनिया के लक्षण और इससे बचाव के तरीके..
निमोनिया क्या होता है
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, निमोनिया फेफड़ों में हो जाने वाला एक ऐसा संक्रमण है जो बैक्टीरिया, फंगस, और वायरस की वजह से होता है. इसके कारण, इंसान के फेफड़ों में सूजन आ जाती है और उनमें लिक्विड भर जाता है. निमोनिया किसी भी उम्र के इंसान को अपना शिकार सकता है. हालांकि, पांच साल तक के बच्चों को इससे बचाने की खास कोशिश करनी चाहिए.
निमोनिया के आंकड़े
बीते कुछ सालों के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2015 में निमोनिया से 5 साल से कम उम्र के 9,20,136 बच्चों की मौत हुई. डॉक्टरों के मुताबिक, निमोनिया के खतरे को आसानी से कम किया जा सकता है. साथ ही, कई बच्चों की मौत होने से भी रोका जा सकता है. लेकिन, जानकारी की कमी और समय पर सही इलाज न मिलने की वजह से करीब हर 20 सेकंड में निमोनिया के संक्रमण से एक बच्चे की मौत हो जाती है.
निमोनिया का टीका
सही समय के मुताबिक बच्चों का टीकाकरण करवाने से, निमोनिया के होने वाले खतरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है. निमोनिया के टीके का नाम न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट है. इस टीके को डेढ़ महीने, ढाई महीने, साढ़े तीन महीने और 15 महीने की उम्र में बच्चों को लगाया जाता है.
इन बच्चों के लिए खतरा ज्यादा
डॉक्टरों के मुताबिक, कुपोषण के शिकार बच्चों को निमोनिया होने का खतरा ज्यादा होता है. छह महीने तक की उम्र वाले बच्चों को मां के दूध के अलावा बाहरी कुछ भी खिलाना-पिलाना नहीं चाहिए.
इन बातों का रखें ध्यान
- बच्चों की गुनगुने तेल से मालिश करें
- खांसने और छींकने के दौरान मुंह बंद रखें
- टिशू इस्तेमाल करके तुरंत डिस्पोज कर दें
- नवजात बच्चों को पूरे कपड़े पहनाएं
- भरपूर आराम करें और हेल्दी फूड लें
- इम्यून सिस्टम मजबूत करें
- हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
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