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लाइलाज है टिटनेस की बीमारी, सिर्फ जंग लगे लोहे से नहीं इन चीजों से भी खतरा

WHO के मुताबिक, अगर किसी को टिटनेस हो जाए तो उसका बच पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि टिटनेस का इंफेक्शन नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों पर अटैक करता है.

Tetanus: किसी लोहे से जब भी चोट लगती है तो आप तुरंत डॉक्टर के पास जाकर टिटनेस का इंजेक्शन लगवाते हैं. टिटनेस जानलेवा हो सकता है, ये तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका कोई इलाज ही नहीं है. जी हां, यह बिल्कुल सच है कि टिटनेस (Tetanus) एक लाइलाज बीमारी है. जो इंजेक्शन आप लगवाते हैं, वह दवा नहीं बल्कि वैक्सीन है, जो इससे बचाव करती है. यह वैक्सीन टिटनेस होने के बाद आपको बचा नहीं सकती है. इसका काम सिर्फ इतना होता है कि भविष्य में आप टिटनेस से बच सके. एक और बात कि टिटनेस सिर्फ लोहे के लगने से नहीं होता है, इसके कई और कारण होते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कितना खतरनाक होता है टिटनेस, जिसकी आजतक कोई दवा ही नहीं है...
 
जानलेवा होता है टिटनेस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, अगर किसी को टिटनेस हो जाए तो उसका बच पाना मुश्किल हो जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि टिटनेस का इंफेक्शन नर्वस सिस्टम और मांसपेशियों पर अटैक करता है.इसकी वजह से किडनी या हार्ट फेल हो जाता है, जिससे मौत हो सकती है.
 
टिटनेस का इतिहास क्या है
पहली बार आज से 2,500 साल पहले ग्रीक के एक डॉक्टर हिपोक्रेटिस ने टिटनेस की पहचान की थी. तब से लेकर आजतक इसका कोई इलाज नहीं ढूंढा जा सका है. साल 1924 में टिटनेस के लिए वैक्सीन भी बनाई गई. इसके बाद इससे बचाव भी होने लगा लेकिन जानकारी की अभाव में कई लोगों को बचपन में इसका टीका नहीं लग पाया और इस वजह से आज भी यह जानलेवा बनी हुई है.
 
जानलेवा टिटनेस से कैसे बचें
अब सवाल कि जब टिटनेस का कोई इलाज ही नहीं है तो आखिर इससे कैसे बचा जा सकता है. इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर किसी को कोई घाव लगता है तो तुरंत फर्स्ट ऐड करना चाहिए, क्योंकि टिटनेस का बैक्टीरिया खुले घाव से शरीर में प्रवेश कर जाता है और इस बीमारी का कारण बन जाता है. इसलिए कभी भी चोट या घाव को खुला न छोड़ें, उसे तुरंत कवर करें.
 
सिर्फ जंग लगे लोहे से नहीं होता टिटनेस
टिटनेस को लेकर ज्यादातर लोग यही सोचते हैं कि यह जंग लगे लोहे से ही होता है लेकिन ऐसा नहीं है. कई महीनों से पड़ी कोई प्लास्टिक की चीज, गंदी लकड़ी से चोट लगने पर भी टिटनेस का खतरा रहता है. ऐसी चीजों में भी टिटनेस का बैक्टीरिया हो सकता है, जो घाव लगने पर शरीर में चला जाता है. हालांकि ये भी जरूरी नहीं है कि बैक्टीरिया हर ऐसी चीज में पाई ही जाए, फिर भी बिना रिस्क लिए सावधानी बरतनी चाहिए.
 
कैसे जानलेवा बन जाता है टिटनेस का बैक्टीरिया
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, घाव से टिटनेस का बैक्टीरिया शरीर में चला जाता है और एक तरह का जहर खून में छोड़ता है. ये जहर मांसपेशियों और नवर्स सिस्टम से लेकर शरीर के किसी भी हिस्से पर हमला कर देता है. इससे हड्डियों में दर्द और शरीर में अकड़न आ जाती है. अगर बैक्टीरिया का पहला अटैक नवर्स सिस्टम पर होता है तो अचानक से लकवा भी मार सकता है और शरीर काम करना बंद कर देता है, जिससे मौत हो जाती है. टिटनेस का शिकार हुआ 10 में से शायद ही कोई एक व्यक्ति बच पाता है. ऐसा तभी होता है, जब लक्षण हल्के हो.
 
टिटनेस से कैसे बच सकते हैं
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, टिटनेस से बचने के लिए इसकी वैक्सीन लगवानी चाहिए. जरूरी नहीं है कि चोट लगने पर ही टीका लगवाएं. आप किसी भी समय इसकी वैक्सीन लगवा सकते हैं. टीका लगने पर जब कभी भी चोट लगती है तो टिटनेस का खतरा नहीं रहता है. ऐसे में चोट लगने पर वैक्सीन दोबारा लगवाने की आवश्यकता नहीं होगी. एक बार टिटनेस का टीका लगने के बाद कम से कम 5 साल तक इंफेक्शन का खतरा नहीं रहता है. इसके बाद फिर से टिटनेस का बूस्टर डोज ले सकते हैं. इसकी वैक्सीन अस्पताल में मुफ्त में लगती है. 
 
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
 
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