अक्सर ये कहा जाता है कि बच्चे का मन एक कोरे कागज की तरह होता है, जिसको रंगने का कार्य उनके मा-बाप, समाज और परिवार के लोग करते है. बच्चे अपने आसपास होने वाली चीजों से कुछ भी बहुत जल्दी और आसानी से सीखते हैं. इसलिए बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए घर, परिवार और समाज का माहौल सही और बेहतर होना बेहद आवश्यक होता है. दूसरो की तुलना में बच्चों पर मां-बाप की बातों का प्रभाव सबसे अधिक पड़ता है.


अक्सर कई समयों पर माता-पिता अपने बच्चों को अंजाने में कुछ ऐसी बातें बोल देते हैं, जिसका उनके मन-मस्तिष्क पर बहुत ही बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसी बातें लंबे वक्त तक बच्चों के व्यवहार और कार्य क्षमता को भी प्रभावित करती हैं. इसलिए आपको अपने बच्चों से कुछ भी कहने से पहले अपने शब्दों पर ध्यान देना जरूरी है, तो आइए आज हम आपको कुछ ऐसे वाक्य बताने जा रहे हैं, जो अक्सर लोग अपने बच्चों से कहते हैं, परंतु उन्हें नहीं कहने चाहिए.


ये घर छोड़कर चले जाओ
अक्सर गुस्से में मां-बाप बच्चों से परेशान होकर कह देते हैं कि वो घर से चले जाएं या घर से बाहर निकल जाएं. इस बात को सुनकर संभव है कि बच्चा रोए या गुस्से में कहीं चला जाए. लेकिन ये बात बच्चों के मन पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है. जब तक बच्चे सक्षम नहीं होते हैं, तब तक तो वो घूम-फिरकर आपके पास वापस लौट आते हैं. मगर आत्म-निर्भर होने पर अगर ऐसी परिस्थिति पैदा होती है, जिससे बच्चे को बहुत ज्यादा गुस्सा आए, तो वो कोई गलत फैसला भी ले सकते हैं. इसलिए बच्चे के मन में ये बात न डालें कि घर में परिस्थितियां ठीक न होने पर उन्हें घर से बाहर चले जाना चाहिए.


काश मैं तुम्हें पैदा होते ही मार देती
कई बार जब माता-पिता बच्चों से परेशान होते हैं, तो गुस्से में ऐसे वाक्य बोल देते हैं. कई बार लाड़ प्यार में भी बच्चे को उसकी गलती का एहसास दिलाने के लिए भी माता-पिता हंसते हुए ऐसा बोल देते हैं. लेकिन इस बात का असर भी बच्चे के मन पर बुरा ही पड़ता है. आपको लगता है कि आत्म सम्मान जैसी चीज केवल बड़ों में ही पाई जाती है. लेकिन सच तो ये है कि बच्चों का भी आत्म सम्मान होता है, जिसे आहत करने से उनके अवचेतन मन पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. इसलिए बच्चों को कभी भी ये शब्द भूलकर भी न कहें चाहें उसने कितनी भी बड़ी गलती क्यों न की हो.


तुमसे अच्छा तो तुम्हारा भाई या दोस्त है
अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को यह कहते हुए देखे जाते हैं कि तुम अपने भाई या बहन या दोस्त जैसा कभी नहीं बन सकते या तुमसे अच्छा तो उनका बच्चा है. इस प्रकार की नकारात्मक बातें बच्चों के समक्ष करना बिल्कुल भी ठीक नहीं होता है. हर बच्चे की अपनी क्षमता और सामर्थ्य होता है. हर बच्चा उसी के मुताबिक ही काम करता है और निर्णय लेता है. इससे बच्चे के मन में ये भावना बैठ जाती है कि वो कभी भी बेहतर नहीं कर सकता है.


जब मैं तुम्हारी उम्र में था तो तुमसे बेहतर था
अगर आप अपने बच्चे को यह कहकर उसकी गलती का एहसास कराना चाहते हैं कि आप जब उसकी उम्र में थे तो आप उनसे बेहतर थे तो आप बिल्कुल गलत हैं. इंसान की क्षमताएं उसकी परवरिश और उसकी परिस्थिति पर निर्भर होती हैं. अगर आप अपने बचपन में अधिक क्षमता रखते थे, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका बच्चा भी उस ऐज में वही क्षमता को विकसित कर पाता है. इसलिए आपको अपने और आपके बच्चे के बीच में कभी भी तुलना नहीं करनी चाहिए.


तुम हमेशा धीरे ही काम करते हो
ज्यादातर मां-बाप अपने बच्चों को इसलिए भी डांटते हैं क्योंकि वो उनकी तुलना में स्लो काम करते हैं. ये एक बहुत ही सामान्य सी बात है कि एक यंग और एक बच्चे की क्षमता में बहुत फर्क होता है. इसके अलावा बच्चों का मन वयस्कों की तुलना में अधिक भटकता है. ऐसे में बच्चों पर हमेशा इस बात के लिए चिल्लाना कि वो धीमे काम करते हैं, बिल्कुल गलत बात है. अगर आप बच्चे इस बात को सकारात्मक तरीके से कहते हैं, तो आपको अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं जैसे- किसी काम के लिए ये कहना कि जल्दी करना नहीं तो मार पड़ेगी, इसके अलावा आप बच्चे से कह सकते हैं कि देखते हैं कि इस काम को तुम कितने समय में कर सकते हो. साथ ही काम को निश्चित समय पर करने के लिए आप उनको कोई ईनाम भी दे सकते हैं.


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