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अच्छा! तो सर्दियों में बीमार पड़ने के पीछे ये वाली साइंस करती है काम.. रिसर्च में हो गया खुलासा
Science Logic On Winter Health: सर्दी को लेकर साइंस के भी अपने तर्क हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि सर्दी का मौसम आखिर कोल्ड और फ्लू के मौसम में क्यों बदल जाता है.
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सर्दी में बीमार पड़ने के पीछे यह है साइंस
Winter Health: कड़कड़ाती सर्दी में जैसे-जैसे तापमान में गिरावट दर्ज होती है वैसे ही हमारे इर्द-गिर्द वायरस मंडराने लग जाते हैं. ऐसे तो इन दिनों पूरा देश ही सर्दी से ठिठुर रहा है लेकिन उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड और शीतलहर का अच्छा खासा असर देखा जा रहा है जिसके चलते लोग सर्दी, खांसी और जुकाम के शिकार हो रहे हैं. ऐसे में ठंड आते ही हर कोई अपने अपने नुस्खे बताना शुरू कर देता है. कोई कहता है हल्दी वाला दूध फायदेमंद है तो कोई बाजरे की रोटी खाने की सलाह देता है. लेकिन सर्दी को लेकर साइंस के भी अपने तर्क हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी से पता चला है कि सर्दी का मौसम आखिर कोल्ड और फ्लू के मौसम में क्यों बदल जाता है. इस स्टडी में यह भी बताया गया है कि आखिर शरीर का वह कौन सा हिस्सा है जो शरीर के लिए वायरस से लड़ाई करता है.
सर्दी में बीमार पड़ने के पीछे ये साइंस करती है काम
सर्दी जुकाम के वायरस का अटैक हो या फिर कोविड का.. सबसे पहले आपकी नाक को ही टारगेट बनाया जाता है. ऐसे में कुछ लोग तो बीमार पड़ जाते हैं लेकिन कुछ लोगों का बाल भी बांका नहीं होता. आपने सोचा है आखिर ऐसा क्यों. आपके सवाल का जवाब है हाल ही में हुई इस स्टडी के अंदर. दरअसल बोस्टन के नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी, मैसाचुसेट्स आई एंड ईयर के वैज्ञानिकों की टीम, जिन्होंने द जर्नल ऑफ एलर्जी एंड क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी में स्टडी प्रकाशित किया, ने बीमार पड़ने के लिए सबसे पहले हमारे नाक की भूमिका की जांच की और पता लगाने की कोशिश की कि कैसे बाहरी दुनिया के वायरस सबसे पहले शरीर के इसी हिस्से से संपर्क में आते हैं. स्टडी जो साल 2018 में शुरू हुई उसमें ये पाया गया कि नाक के पास ऐसा डिफेंस मेकैनिज्म है जिससे वह वायरस और बैक्टीरिया को ट्रैक कर पाती है. रिसर्चस ने पता लगाया कि नाक बैक्टीरिया का पता लगाती है, और फिर यह उस पर हमला करने और उसे बेअसर करने के लिए बने टाइनी फ्लूएड से भरे थैलों के झुंड को छोड़ती है.
अटैक करने वाले वायरस को ऐसे रोकती है बॉडी
मैसाचुसेट्स आई एंड ईयर में ओटोलरींगोलोजी ट्रांसलेशनल रिसर्च के निदेशक डॉ. बेंजामिन ब्लेयर ने कहा, 'जब आप हार्नेट के घोसले को मारकर तोड़ने की कोशिश करते हैं तो वो बाहर निकल कर आती है और घोसले पर हमला करने वाले से पहले खुद हमलावर हो जाती है उसे मारने की कोशिश करती है. आपका शरीर भी ठीक इसी तरह काम करता है'. नई स्टडी से यह पता चला है कि आपको नाक भी रेस्पिरेट्री वायरस को हमला करने से रोकने के लिए बचाव करती है.
नाक के इम्यून रिस्पांस को करना होगा मजबूत
इसे पता लगाने के लिए लैबोरेट्री में नेशनल सेल्स के सैंपल को कम टेंपरेचर में रखा गया, यह देखने के लिए कि कोल्ड क्लाइमेट में नाक के अंदर वास्तव में होता क्या है. यह पाया गया कि कम तापमान में इम्यून रिस्पॉन्स काफी कम हो गया. इसका मतलब है कि नाक का डिफेंस मेकैनिज्म कम तापमान पर ठंडा हो जाता है, यही कारण है कि सर्दी में कॉमन कोल्ड हो जाता है और नाक बहने लगती है स्टडी का कंक्लूजन निकालते हुए रिसर्चर्स का मानना है अगर वैज्ञानिक कम तापमान में नाक के इम्यून रिस्पांस को मजबूत बनाने का तरीका खोज लेते हैं तो तमाम बीमारियां और वायरस को रोकना आसान हो जाएगा.
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