Traffic Stress Syndrome : एक रिपोर्ट के मुताबिक, ज्यादातर लोगों का वक्त 3 से 6 घंटे तक ट्रैफिक में ही बीत रहा है. इससे न सिर्फ हमारा टाइम खराब होता है, बल्कि सेहत (Health) पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. यह ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम (Traffic Stress Syndrome) कहलाता है. जिसका असर हमारी मेंटल और फिजिकल दोनों तरह की हेल्थ पर पड़ता है. इसके कार्बन फुटप्रिंट को भी बढ़ावा मिलता है. आइए जानते हैं क्या है ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम (TSS) और इससे जुड़ी बातें...

 

ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम क्या है

बहुत से लोग इस समस्या से पहले से ही जूझ रहे हैं. ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम इससे जुड़े स्ट्रेस को लेकर है. ट्रैफिक में ज्यादा देर रहने से फिजिकल और साइकोलॉजिकल इफेक्ट पड़ता है. यह एक तरह से एनवायर्नमेंटल स्ट्रेस सिंड्रोम भी है, जो ट्रैफिक की वजह से लाइफ का हिस्सा बन जाता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, ट्रैफिक के शोरगुल, वायु प्रदूषण, सड़क के खतरों और यातायात से जुड़े दूसरे कारणों की वजह से यह सिंड्रोम होता है. 

 

ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम के लक्षण

यह एक ऐसा सिंड्रोम है, जो शारीरिक और मानसिक सेहत पर निगेटिव असर डाल सकता है. इसकी वजह से सिरदर्द, थकान, चिंता, डिप्रेशन और हार्ट बीट तक बढ़ सकती है. इतना ही नहीं कंसट्रेशन, याददाश्त और फैसले लेने की क्षमता को भी यह प्रभावित कर सकता है. लंबे समय तक ट्रैफिक में रहने की वजह से दिल और सांस से जुड़ी बीमारियों का रिस्क भी कई गुना तक बढ़ जाता है. 

 

ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम के नुकसान

ट्रैफिक में रहने से जो शोर हमारी कानों तक पहुंचता है, उसकी वजह से स्ट्रेस हार्मोन का लेवल काफी बढ़ जाता है. जिसकी वजह से नींद की गुणवत्ता खराब हो जाती है. दिनभर शरीर थका-थका सा रहता है. थकान के चलते ध्यान केंद्रित नहीं हो पाता है. 

 

ट्रैफिक स्ट्रेस सिंड्रोम से कैसे बचें

इसके खतरे को कम करने ट्रैफिक से जुड़े स्ट्रेस को सीमित करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है.  जितना हो सके ट्रैफिक में जाने से बचना चाहिए. यह ट्रैफिक के शोर से आपको बचाने में हेल्प कर सकता है. मानसिक हेल्थ को बेहतर बनाने के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट तकनीक की मदद भी ले सकते हैं.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 

 

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