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ऊंचाई पर जाने से क्यों बढ़ जाता है हार्ट का रिस्क, जानें कार्डियक अरेस्ट का खतरा कम करने के 8 टिप्स
पहाड़ों या ऊंचाई वाले इलाके पर जाने पर फिट होने के बावजूद हार्ट का जोखिम बढ़ जाता है. ऑक्सीजन की कमी से कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं और कार्डियक अरेस्ट का जोखिम बढ़ जाता है.
Cardiac Arrest : दिल से जुड़ी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में होने वाली हार्ट डिजीज का 60% भारत में ही होता है. जब हार्ट (Cardiac arrest at high altitude) ऑक्सीजन के कम दबाव का सामना करता है, तब हार्ट का रिस्क बढ़ जाता है. ऊंचाई वाली जगह और ओवर वर्कआउट के चलते ये समस्या हो सकती है. पहाड़ी इलाके या ऊंचाई पर जाने से हार्ट हेल्थ का जोखिम बढ़ जाता है. इसलिए अगर पहाड़ों पर सफर का प्लान बना रहे हैं तो कुछ बातों का ध्यान रख आप हार्ट रिस्क से बच सकते हैं...
ऊंचाई पर क्यों बढ़ जाता है हार्ट का रिस्क
हार्ट स्पेशलिस्ट के मुताबिक, हाई एल्टीट्यूड पर हार्ट हेल्थ का खतरा काफी हद तक बढ़ जाता है. ऊंचाई पर जाने पर ऑक्सीजन कम हो जाता है. इस कारण ब्रीदिंग और हार्ट रेट बढ़ जाता है. इसके बावजूद अगर थकान को अवॉयड कर आगे बढ़ रहे हैं तो यह कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है. वैसे तो कार्डियक अरेस्ट अचानक ही होता है लेकिन इससे पहले शरीर कुछ संकेत भी देता है. जब शरीर में थकान हो और वह किसी काम की इजाजत न दे तो संभल जाना चाहिए. कार्डियक अरेस्ट की इन चेतावनी को इग्नोर नहीं करना चाहिए.
पहाड़ों पर जानें पर समस्याएं
ज्यादा ऊंचाई पर जाने से सायनोसिस जैसी स्थिति हो सकती है. इसमें होंठ, नाखून और स्किन नीली पड़ सकती है. ये ब्लड में ऑक्सीजन की कमी के संकेत हैं. घबराहट, सांस लेने में दिक्कत, थकान कार्डियक अरेस्ट के चेतावनी हो सकते हैं. ना ही इन्हें हल्के में लेना चाहिए और ना ही अनदेखा करना चाहिए. ऊंचाई पर जाने से कुछ लोगों को चक्कर की समस्या भी होती है. ऐसे में तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. वरना कुछ स्थिति में अक्यूट पल्मोनरी एडेमा (Acute Pulmonary Edema) हो सकता है. इसमें फेफड़ों के ऊपर पानी भर जाता है और फिर समस्याएं गंभीर हो सकती है.
ऊंचाई पर जाने पर कार्डियक अरेस्ट से बचने के उपाय
1. हाई ऑल्टीट्यूड या ऊंचाई पर जाने पर खुद को एक्लेमेटाइज करते रहें. कम से कम 12 घंटे ही वहां बिताएं और हेल्थ का ख्याल रखते रहें.
2 अक्यूट पल्मोनरी एडेमा के लक्षण दो से चार दिन पहले ही दिखने लगते हैं. ऐसे में डॉक्टर की सलाह लें. अपने साथ दवाईयां रखें.
3. जब भी सफर पर निकले तो पानी लगातार पीते रहे. इससे शरीर को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलता रहता है.
4. ऊंचाई पर जाने के दौरान, सीढ़ियां चढ़ते, दौड़ते अगर थकान लगे तो तुरंत रूक जाएं और शरीर को आराम दें. शरीर को जबरदस्ती पुश करने से बचें.
5. सफर के दौरान एस्पिरिन जैसी ब्लड थिनर दवाएं मददगार हो सकती हैं. इससे खून के थक्के नहीं जम पाते औऱ शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन मिलती रहती है.
6. अगर लेह-लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में सफर करना है तो कोशिश करें ऑक्सीजन का पोर्टेबल सिलेंडर रख रखें.
7. ठंडे इलाकों में खिड़की-दरवाजे अक्सर लोग बंद करके सोते हैं. यह हार्ट के लिए खतरनाक हो सकता है. इसलिए खिड़की खोलकर सोएं.
8. किसी भी तरह की इमरजेंसी सिचुएशन को इग्नोर न करें. चक्कर, घबराहट, होंठ या नाखून का नीलापन, सांस लेने में दिक्कत जैसी समस्याएं हो तो तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
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