Alzheimer Disease : अल्जाइमर को बुजुर्गों की बीमारी माना जाता है. लेकिन दुनिया में 30-64 साल की उम्र के करीब 39 लाख लोग इस बीमारी की चपेट में हैं. मतलब यह बीमारी 30 साल के युवाओं को भी हो सकती है. नई स्टडी के अनुसार, युवाओं में अल्जाइमर के लक्षण अलग होते हैं. इसमें उनका फोकस किसी चीज में नहीं बन पाता है या बॉडी लैंग्वेज बिगड़ सकती है. इसकी वजह से उनकी मानसिक और शारीरिक क्षमता कमजोर होती जाती है. बुजुर्गों को इससे कई दिक्कतें होती हैं. हालांकि, अब इस बीमारी का इलाज भारतीय वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला है. ऐसे में चलिए जानते हैं अल्जाइमर क्या है, इसके कुल कितने मरीज हैं और इसका नया ट्रीटमेंट क्या है...

 


 

दुनिया में अल्जाइमर के कितने मरीज

अल्जाइमर एक गंभीर न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारी है. पूरी दुनिया में करीब 5.5 करोड़ से ज्यादा लोग अल्जाइमर (Alzheimer) और इसकी वजह से होने वाले डिमेंशिया से जूझ रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक, हर साल 1 करोड़ से ज्यादा लोग अल्जाइमर और डिमेंशिया की चपेट में आ रहे हैं.

 

अल्जाइमर क्यों खतरनाक है

अल्जाइमर दिमाग से जुड़ा एक डिसऑर्डर है, जिसमें ब्रेन का आकार सिकुड़ने लगता है और कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं. इस जवह से किसी चीज को याद रख पाना, किसी बात पर सोच या विचार कर पाना नहीं हो पाता है. अल्जाइमर के गंभीर मामलो में डिमेंशिया (Dementia) का खतरा रहता है. इसके लक्षणों को कम करने और इससे होने वाली समस्याओं से बचने के लिए कुछ दवाईयां ली जाती हैं. इस बीमारी के इलाज में अब भारतीय वैज्ञानिकों को बड़ी सफलता मिली है.

 


 

अल्जाइमर का नया इलाज क्या है

पुणे के आघारकर रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने अल्जाइमर बीमारी के इलाज के लिए नए मॉलिक्यूल विकसित किए हैं. दो वैज्ञानिक प्रसाद कुलकर्णी और विनोद उगले ने सिंथेटिक, कम्प्यूटेशनल और इन-विट्रो स्टडीज की मदद से नए अणुओं को डिजाइन और सिंथेसाइज्ड किया है. उनका कहना है कि ये मॉलिक्यूल नॉन टॉक्सिक हैं और अल्जाइमर के इलाज में प्रभावी हो सकते हैं. वैज्ञानिकों ने पाया है कि ये मॉलिक्यूल कोलिनेस्टरेज एंजाइमों के खिलाफ प्रभावी हैं. इनके इस्तेमाल से दवाईयां बनाई जा सकती है, जो इस बीमारी को ठीक करने में असरदार हो सकती है.

 

अल्जाइमर ठीक करने लाइफस्टाइल में करें बदलाव

ऑस्ट्रेलिया में हुए एक अन्य अध्ययन में पाया गया है कि अल्जाइमर के मरीजों को अपना खानपान और लाइफस्टाइल बेहतर बनाने पर फोकस करना चाहिए. उन्हें नियमित तौर पर एक्सरसाइज करनी चाहिए. इसके अलावा सोशल होना, पढ़ना, डांस करना, गेम खेलना या कोई म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट बजाना भी इस गंभीर बीमारी के खतरे को कम करने में मददगार हो सकता है.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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