Anorexia : मौजूदा दौर में वजन कम करना सबसे बड़ी चुनौती में से एक है. अधिक वजन या मोटापा कई क्रोनिक बीमारियां जैसे- हार्ट डिजीज, ब्लड प्रेशर और डायबिटीज का कारण बन सकती है. इसलिए इसे कंट्रोल रखने की सलाह दी जाती है. कई बार वजन कम करने के लिए लोग पागलपन की हद तक गुजरने और कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं. इस स्थिति को एनोरेक्सिया (Anorexia) कहते हैं, जो कई और बड़ी समस्याओं का कारण बन सकती है. आइए जानते हैं इस बीमारी के बारें में सबकुछ...
एनोरेक्सिया क्या है
यह एक तरह का ईटिंग डिसऑर्डर है. जिसमें वजन न बढ़े, इसलिए लोग खाना-पीना ही छोड़ देते हैं. इस डिसऑर्डर की चपेट में आने के बाद लोग वजन और शरीर का आकार कंट्रोल करने के लिए बहुत ज्यादा प्रयास करते हैं. इस वजह से उन्हें कई तरह की गंभीर शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं. कई बार वजन को कंट्रोल में लाने के लिए ज्यादा एक्सरसाइज भी करने लगते हैं, जो खतरनाक हो सकता है. आमतौर पर इसे मानसिक बीमारी माना गया है.
एनोरेक्सिया की समस्या की पहचान कैसे करें
इस डिसऑर्डर का शारीरिक और मानसिक दोनों लक्षण हो सकता है. इसमें मुख्य शरीर का वजन बहुत कम हो जाना है. पोषक तत्वों की कमी से मांसपेशियों की कमी, थकान-कमजोरी, लो ब्लड प्रेशर या चक्कर की समस्या, हाथ-पैर का ठंडा होना, बालों का झड़ना, मासिक धर्म में परेशानी, अनिद्रा जैसी परेशानी हो सकती है. बिहैवियर के आधार पर भी इस समस्या को पहचाना जा सकता है.
एनोरेक्सिया की पहचान
वजन, शरीर के आकार, डाइट, कैलोरी और खाने को लेकर ज्यादा चिंता करना
बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करना
शरीर के वजन और आकार को बार-बार चेक करना
मोटा होने या ज्यादा वजन की चिंता सताना
भूख लगने पर भी खाना न खाना
एनोरेक्सिया का कारण
एनोरेक्सिया का सटीक कारण अब तक हेल्थ एक्सपर्ट को भी नहीं पता है. कई बीमारियों की तरह, यह भी बायोलॉजिकल, साइकोलजिकल या एनवायरमेंटल हो सकता है.
एनोरेक्सिया से पीड़ित कुछ लोगों में ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर की समस्या भी देखने को मिली है. ऐसे लोग भूख लगने के बाद भी खाना नहीं खाते हैं. कुछ एनोरेक्सिया पीड़ितों में स्ट्रेस और एंग्जाइटी की समस्या भी देखने को मिल सकती है.
एनोरेक्सिया का इलाज
1. एनोरेक्सिया होने पर साइकोलॉजिस्ट और डाइटिशियन से इलाज की आवश्यकता पड़ सकती है.
2. कुछ तरह की थेरपी और वजन को सामान्य बनाने वाली दवाओं से भी इलका इलाज हो सकता है.
3. इस बीमारी के इलाज में सबसे ज्यादा योगदान घरवालों का होता है, जो इसे समय रहते नोटिस करें और इलाज करवाएं.
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