Circadian Rhythm : क्या आप जानते हैं कि हम सभी के बॉडी में एक इंटरनल क्लॉक होता है, जो समय पर खाना पचाता है, पोषक तत्वों को अवशोषित करता है, सोने-जागने का समय निश्चित करता है और बहुत कुछ जो हमारा शरीर करता है उसे कंट्रोल करता है. अगर यह खराब हो जाए या इसमें कोई गड़बड़ी आ जाए तो हेल्थ से जुड़ी कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं सर्कैडियन रिदम (Circadian Rhythm) की. जिसे शरीर की आंतरिक घड़ी कहते हैं. कई रिसर्च में पाया गया है कि सर्कैडियन रिदम में खराबी से मूड और मस्तिष्क से जुड़े डिसऑर्डर का जोखिम हो सकता है. आइए जानते हैं क्या है सर्कैडियन रिदम और इससे कौन-कौन सी समस्याएं हो सकती हैं...
सर्कैडियन रिदम क्या है
सर्कैडियन रिदम जागने के समय, शरीर के तापमान, मेटाबॉलिज्म, पाचन और भूख को कंट्रोल करने के लिए जरूरी होता है. यह ब्रेन में 24 घंटे की आंतरिक घड़ी है, जिससे काफी कुछ बेहतर बनता है. यह वातावरण में परिवर्तनों से भी अलर्ट करती रहती है. जब तक बाहर धूप रहती है बॉडी एक्टिव रहती है और रात होने पर दिमाग को मेलाटोनिन हार्मोन का उत्पादन करने का संकेत भेजती है, जिससे नींद आती है. अगर यह घड़ी खराब हो जाए तो कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं.
सर्कैडियन रिदम खराब हो जाए तो क्या होगा
अगर सर्कैडियन रिदम अनियमित है तो सोने और ठीक से काम करने की क्षमता प्रभावित होती है. जिसका असर हेल्थ पर पड़ सकता है और कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं. इसमें डिप्रेशन, टेंशन,बाइपोलर डिसऑर्डर और कई इमोशनल, मूड डिसऑर्डर भी शामिल है. अध्ययन में पता चला है कि रात में ज्यादा एक्टिव रहने वालों में मानसिक समस्याएं ज्यादा हो सकती हैं. इससे डिप्रेशन और स्ट्रेस डिसऑर्डर से जुड़े खतरे भी बढ़ सकते हैं.
सर्कैडियन रिदम का हेल्थ पर असर
ब्लड प्रेशर सर्कैडियन रिदम के हिसाब से ही काम करता है. इसी वजह से सुबह जब हम उठते हैं तब यह बढ़ा हुआ रहता है और रात में सोते समय कम हो जाता है. स्टडी में पाया गया है कि सर्कैडियन रिदम का असर मेटाबॉलिज्म पर भी हो सकता है. इस वजह से वजन बढ़ना, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशन जैसी समस्याओं का खतरा ज्यादा रहता है.
सर्कैडियन रिदम को ठीक रखने का तरीका
सोने का सही शेड्यूल बनाएं.
हर रात एक ही वक्त पर सोएं.
सोते समय कमरा अंधेरा और शांत हो.
एक्सरसाइज, वर्कआउट करें.
कैफीन-शराब के ज्यादा सेवन से बचें
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