Kidney Creatine: किडनी शरीर का अहम अंग है. इसका काम खून को फिल्टर कर गंदगी बाहर निकालना है. किडनी रोजाना करीब 180 लीटर तक खून साफ करती है. हालांकि, किडनी का काम इससे भी ज्यादा है. वह शरीर के लिक्विड और इलेक्ट्रोलाइट्स को बैलेंस करने का काम करती है. यही कारण है कि किडनी की छोटी सी समस्या भी पूरे शरीर को प्रभावित कर सकती है. आजकल खराब लाइफस्टाइल और गड़बड़ खानपान की वजह से किडनी से जुड़ी कई बीमारियां फैल रही हैं. इसकी वजह से ब्लड में क्रिएटिनिन का लेवल बढ़ रहा है, जिससे काफी समस्याएं हो सकती हैं.
क्रिएटिनिन क्या होता है
क्रिएटिनिन एक अपशिष्ट पदार्श होता है, जो भोजन में प्रोटीन के पाचन और मांसपेशियों के ऊतकों के ब्रेकडाउन से बनता है. किडनी खून से इसे फिल्टर कर यूरीन के जरिए शरीर से बाहर निकाल देती है. हालांकि, जब ये ज्यादा हो जाती है तो किडनी को नुकसान पहुंचाने लगती है. ऐसे में जब भी ब्लड टेस्ट में क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा रहे तो सावधान हो जाना चाहिए, क्योंकि इसकी वजह से किडनी फेलियर जैसी जानलेवा समस्याएं भी हो सकती हैं.
क्रिएटिनिन बढ़ने का कारण
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पुरुषों के लिए 0.7 से 1.3 mg/dL और महिलाओं के लिए 0.6 से 1.1 mg/dL क्रिएटिनिन नॉर्मल माना जाता है. इससे ज्यादा का स्तर खतरनाक माना जाता है. खानपान में गड़बड़ी, मांस का ज्यादा सेवन, कुछ तरह की दवाईयों की वजह से ब्लड में क्रिएटिनिन बढ़ सकता है.
क्रिएटिनिन को लेकर क्या सावधानी रखें
कई अध्ययनों में पाया गया है कि कुछ तरह के सप्लीमेंट्स क्रिएटिनिन के स्तर को बढ़ा सकते हैं. इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी सप्लीमेंट्स नहीं लेना चाहिए. एथलीट और बॉडी-बिल्डर जो सप्लीमेंट्स लेते हैं, उनसे क्रिएटिनिन की मात्रा बढ़ सकती है. हाई क्रिएटिनिन स्तर वालों को ऐसे प्रोडक्ट्स से बचना चाहिए, जिनमें पहले से ही क्रिएटिनिन ज्यादा हो. 2014 के एक अध्ययन में बताया गया कि रेड मीट के ज्यादा सेवन से भी क्रिएटिनिन बढ़ सकता है, क्योंकि रेड मीट में नेचुरली क्रिएटिन पाया जाता है, जिसे पकाने से क्रिएटिन का ब्रेकडाउन होकर क्रिएटिनिन बन जाता है. इसलिए रेड मीट और मछलियां खाने से बचना चाहिए.