Cholesterol Level : शरीर में कोलेस्ट्रॉल बढ़ना बेहद खतरनाक होता है. इससे कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं. कोलेस्ट्रॉल को लेकर जारी नई गाइडलाइन में 100 mg/dl से ज्यादा लेवल को भी खतरे की घंटी बताया गया है. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (CSI) ने डिस्लिपिडेमिया बीमारी, जिसमें खून में कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ जाता है.
इसे लेकर लोगों को अवेयर करने और इसके इलाज के लिए भारत की पहली गाइडलाइन जारी की है. इसमें शरीर में कोलेस्ट्रॉल लेवल, बैड कोलेस्ट्रॉल, गुड कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स लेवल को लेकर जानकारी दी गई है. आइए जानते हैं इस गाइडलाइन में क्या कहा गया है...
कोलेस्ट्रॉल की नई गाइडलाइन क्या है
CSI के अनुसार, भारत में डिस्लिपिडेमिया की बीमारी तेजी से फैल रही है, जो एक साइलेंट किलर की तरह है. इस बीमारी के लक्षण तो नजर नहीं आते लेकिन यह धीरे-धीरे शरीर में अपनी जड़े जमाने लगती है और हार्ट अटैक जैसी खतरनाक बीमारियों का जोखिम बढ़ा देती है. कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के महासचिव डॉ. दुर्जति प्रसाद सिन्हा ने सलाह दी है कि कोलेस्ट्रॉल की पहचान के लिए लोगों को लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाना चाहिए. इसके लेवल को लेकर गाइडलाइ बनाई गई है.
कोलेस्ट्रॉल लेवल कितना होना चाहिए
डॉ. दुर्जति प्रसाद का कहना है कि एक सामान्य शरीर में LDL-C यानी बैड कोलेस्ट्रॉल का लेवल 100 mg/dl से नीचे और HDL-C का लेवल 130 mg/dl से नीचे ही होना चाहिए. ऐसे लोग जिन्हें हाई बीपी की समस्या है, उनका एलडीएल-सी 70 मिलीग्राम/डीएल और गैर-एचडीएल 100 मिलीग्राम/डीएल से नीचे ही होना चाहिए. इससे ज्यादा या कम लेवल सेहत बिगाड़ सकता है.
नई दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष और लिपिड गाइडलाइन के अध्यक्ष डॉ. जेपीएस साहने का कहना है कि ऐसे मरीज जिनमें हार्ट अटैक, स्ट्रोक, क्रोनिक किडनी डिजीज या एनजाइना जैसी समस्याएं हैं, उनमें एलडीएल-सी का लेवल 55 मिलीग्राम/डीएल या गैर-एचडीएल लेवल 85 मिलीग्राम/डीएल से नीचे ही होना चाहिए.
CSI के अनुसार कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल करने के उपाय
- लाइफस्टाइल में बदलाव करें
- नियमित एक्सरसाइज करें
- शराब और तंबाकू छोड़ें
- चीनी का सेवन कम से कम करें
- हार्ट डिजीज , स्ट्रोक या डायबिटीज में स्टैटिन, गैर-स्टेटिन दवाएं और मछली के तेल की सलाह दी जाती है.
- 500 मिलीग्राम/डीएल से ज्यादा ट्राइग्लिसराइड्स लेवल के लिए फेनोफाइब्रेट, साराग्लिटाज़ोर और मछली के तेल का उपयोग कर सकते हैं.
- डॉक्टर के पास जाकर बेहतर इलाज करवाएं.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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